Real UFO
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    Real UFO: ये लोहे का टुकड़ा सीधा यूएफओ से गिरा था और यह हम नहीं कह रहे, बल्कि दुनिया बोल रही है। दरअसल वर्ल्ड वॉर 2 के बाद 1947 में एक ऐसी घटना घटी थी, जिसमें एक अमेरिकी शहर के ऊपर खुद यूएफओस आए थे और इस बात को कई ऑफिशियल गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट में भी जगह दी जा चुकी है। हालांकि क्या सच में उस दिन यूएफओस आए थे। अगर हां तो कहा गए और अगर ने तो उस दिन यूएफओस पूरे शहर को कब्जे में ले लेने वाले वह ऑब्जेक्ट्स क्या थे और सबसे बड़ी बात फिर ये एलियन मेटल आया तो आया कहां से। आज की इस वीडियो में हम एक रात का पर्दा फाश करने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं-

    आरनोल्ड ने अपने ऑबज़र्वेशन-

    इस कहानी की शुरुआत होती है 24 जून 1947 के दिन जब पायलय कैनेथ आरनोल्ड वाशिंगटन के कैशकेर्ड के माउंटेन के ऊपर उड़ रहे थे। वह एक क्रैश हुए एयरक्राफ्ट को ढूंढने के लिए तभी उन्होंने नौ क्रेशिएंड य़ेड शेप यानी 29% मून का वह जो शेप होता है ना, वैसे उन्होंने टोटल नो ऑब्जेक्ट देखे, उस दिन उन्होंने उसे तीन किलोमीटर या फिर 10,000 फीट की ऊंचाई पर 19 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ते हुए देखा, जो उस वक्त के हिसाब से इंपॉसिबल था। अब आरनोल्ड ने अपने ऑबज़र्वेशन को बयान करते हुए कहा कि यह ऑबजेक्ट्स ठीक उसी तरह झटके खाते हुए आसमान में उड़ रहे थे। जैसे पानी में पत्थर उछलते हुए आगे बढ़ते हैं और जब यह बात मीडिया के पास गई, तब तो बवाल ही हो गया। मीडिया इसे हैविलि कवर करने लगा जहां जब वह नोरवेल और न्यू मैक्सिको के आसपास के इलाके में गया , तो उन्हें यह बताया गया, कि उस इलाके में आए दिन ऐसी अजीबोगरीब और रहस्यमई घटनाएं घटती रहती हैं। लेकिन क्योंकि उनके बारे में कभी भी किसी ने रिपोर्ट नहीं किया। इसलिए वह पब्लिक इमेंज में आ ही नहीं पाया।

    रोज़वेल के शेरी ऑफिस-

    हालांकि 7 जुलाई 1947 के दिन रोज़वेल के शेरी ऑफिस में एक कॉल आया जहां फोन के दूसरी तरफ बंदे ने अपना नाम मैक ब्राजे़ल बताया और उसने फोन पर कहा कि उसने अपने पूरे खेत में अजीबोगरीब चीज़ों को खोज निकाला है, जो उसकी समझ में नहीं आ रही है। उसने शेरीफ को बताया कि यह डिब्रिस उसके खेत में कई दिनों पहले से पड़ी है। लेकिन उसने इस पर गौर नहीं किया। मगर बीते कुछ दिनों से जब से वह न्यूज़ पेपर में यूएफओएस के बारे में पढ़ रहा है, उसे डाउट है कि यह सारा सामान कहीं यूएफओ से तो नहीं गिरा है। यह बात सुनते ही शेरीफ ने खुद उन चीज़ों को देखा और यह सोचते हुए कि इसका कनेक्शन हाइअर ऑर्डर वालों से हो सकता है, इस पूरे मामले के बार में हाई अथॉरिटिस और आर्मी एयरवेज को इत्ला कर दिया। इसके बाद उस जगह का मुआएना करने और उस स्सपिशियश सामान इकट्ठा करने इंटेलिजेंस ऑफीसर जे. से. मार्शल पहुंचे और सब लेकर एयरबेस चले गए। जिनमें से मैक्सिमम ऑब्जेक्ट्स की डिटेल्स पब्लिक नहीं हुई।

    रोजवेल आर्मी एयर फील्ड में एनालिसिस-

    अभी तक इस खबर के कोई मायने नहीं थे। कुछ नहीं हुआ था, मगर जब इस डिक्रीज कलेक्शन और एनालिसिस की रिपोर्ट लेने मीडिया वाले मिलिट्री बेस से कांटेक्ट करने लगे, तो वहां के पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफीसर वॉल्टर हॉट ने सीधा यह कह दिया, कि रोज़वेल के पास मौजूद एक खेत में पिछले हफ्ते एक डिस्क शॉप फ्लाइंग ऑब्जेक्ट आया था। जिसकी डिस्क को उस रेंचर ने अपने पास सुरक्षित रख लिया था और जैसे ही उसे शेरीफ को कॉल करने का मौका मिला। उसने इसके बारे में शेरीफ को जानकारी दी। जहां से आर्मी ने उसे बाकी सामान के साथ बरामद कर लिया है और रोजवेल आर्मी एयर फील्ड में एनालिसिस होने के बाद इसे हायर हेडक्वार्टर में भेजा जाएगा। अब आप ज़रा खुद सोचिए अगर आर्मी इस बाद को सामने रख दे कि एक बंदे के खेत में यह डिस्क आया और उसकी डिस्क को आर्मी ने एनालिसिस के लिए अपने पास रखा हुआ है, तो क्या वजह है आपके पास इसके ऊपर ना मानने की। अगले दिन एक न्यूज़ पेपर के फ्रंट पेज पर हैडलाइन आईन राफ कैप्चर फ्लाइंग सौसर ऑन रेंज इन रोजवेल रीजन। राफ का मतलब आर्मी एयर फील्ड और दुनिया भर के लोग इसे ऐसे ट्रीट करने लगे कि ह्यूमैनिटी के पहले यूएफओ खोज किया गया है और यह स्टेटमेंट आर्मी ऑफिशल ने ऑन रिकॉर्ड दिया था। पर जब बात फैलने लगी तो यूएस गवर्नमेंट ने अपने बयान को 24 घंटे के अंदर ही बदल दिया और यह कहा कि जिस चीज़ को वह पहले फ्लाइंल फॉसेल समझ रहे थे, वह असल में एक फ्लैाइंग सोसर नहीं था बल्कि एक क्रैश हो चुका वेदर बलून था। अब आज के इस दौर में, इस बात पर बहुत कम ही लोग यकिन करते।

    रिटायर्ड आर्मी ऑफिशियल-

    मगर विश्व युद्ध के बाद वाले अमेरिका के लिए वहां कि सेना और सरकार भगवान थी। इसलिए लोगों ने उन पर यकीक कर लिए और बात यहीं पर दब गई। यह डिवरीज़ के साथ आर्मी ऑफिशियल की एक इमेज है, जिसे पब्लिकली रिविल किया गया था और साथ ही इसमें मौजूद सामान इनिशियल रिपोर्ट से ज्यादा मिल नहीं खा रहे थे। तब भी इस स्टोरी को ज्यादा डेवलप नहीं किया गया। हालांकि यह बात फिर से उठी सन् 1978 में जब एक न्यूक्लियर फिजिशन स्टेनटोंन फैरिड मैन ने यह कहा, कि उन्हें रोजवेल इंसिडेंट को लेकर एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर से टिप मिली है, कि वह जो वेदर बलून वाली पूरी स्टोरी थी ना वह और साथ में डिग्रीस के साथ जो इमेज पब्लिक की गई थी। वह सब स्टेज्ड था और असली डिब्रिस को फोटो के दौरान छिपा दिया गया था। ताकि वह दुनिया के सामने ना आए। उस रिटायर्ड आर्मी ऑफिशियल ने यह भी कहा कि इनिशियल सर्च पार्टी में मौजूद सब लोग इस चीज़ को लेकर श्योर थे, कि जो ऑब्जेक्ट रिट्रीव किया गया है। वह असल में एक एक्स्ट्रा टेरेस्टेरियल स्पेसशिप थी और जरा गैस कीजिए कि स्टैंडर्ड को इंजेक्टिव देने वाला वह रिटायर्ड आर्मी ऑफिशल था कौन। ही वास नन अदर देन, जैसी मार्शल आर्मी एयरवेज का वही इंटेलिजेंस ऑफीसर. जिसने सबसे पहले एज़ एन आर्मी पर्सनलस वहां की डिब्रीज़ को देखा था और फिर सारा सामान जप्त किया था। अब सिर्फ यही एक शक की बात हो तो बात अलग है, मगर लिस्ट बहुत लंबी है। history.com ने सन् 1997 की एक फॉलो अप रिपोर्ट को कोर्ट किया है, हुआ क्या था कि उसी दौरान बहुत से आई विटनेस इस बात का दावा कर रहे थे, कि उन्होंने उस जगह के आसपास से आर्मी को एलियन बॉडीज को ले जाते हुए देखा था। जिसे सरकार ने यह क्लेरिफाई करते हुए कहा कि वह कोई एलियन बॉडी नहीं थी। बल्कि पैराशूट टेस्ट के दौरान जमीन पर गिरे हुए डमीज़ थे।

    स्पाई डिवाइस में माइक्रोवेव-

    साल 1994 में यूएस एयर फोर्स ने भी एक रिपोर्ट रिलीज की, जिसमें एयरफोर्स ने भी इस बार यह एडमिट किया कि वेदर बलून वाली पूरी स्टोरी बॉगस थी और उसका कोई भी कुक नहीं बनता। हालांकि यहां भी उन्होंने यह नहीं कहा कि वहां बलूंस नहीं थे। बल्कि इस बार एक बिल्कुल ही नई बात सामने आई, प्रोजेक्ट मोबल। एयर फोर्स ने कहा कि वह जितना भी कबाड़ उस समय रेंज में मिला था, उसमें एक स्पाई डिवाइस था, जो प्रोजेक्ट के अंदर बनाई गई थी और उसे स्पाई डिवाइस में माइक्रोवेव और ऐसे कई स्पाइंग गैजेट्स लगे हुए थे। लेकिन इसका परपज बात कुछ ऐसी थी, कि वर्ल्ड वॉर 2 में उस के एटॉमिक बॉम्बस को देखने के बाद पूरी दुनिया इस होड में लग गई थी, कि वह भी इस डिस्ट्रक्टिव वेपन को बनाएं और सुपीरियोरिटी की इस लिस्ट में सबसे आगे रसिया था, जिसे उस समय सुपर पावर कहा जाता था। इस सुपर सीक्रेट मिशन के दौरान ढेर सारे माइक्रोफोन लिस्ट बलूंस को हवा में उड़ाया जाता था, ताकि वह देखने में तो ठीक किसी वेदर बैलून की तरह लगे। जबकि असल में हाई एटीट्यूड में यूएस के मोस्ट पॉसिबल प्रॉक्सिमिटी में उड़ते हुए, वह सभी सस्पेक्ट साउंड वेव्स को रिकॉर्ड करते थे, जिसके जरिए अमेरिका यह मॉनिटर करना चाहते थे की कहीं, बॉर्डर के उस पार कोई एटॉमिक बम की टेस्टिंग, तो नहीं चल रही है।

    देशों के बीच पॉलिटिकल टेंशंस-

    क्योंकि एटॉमिक बम की टेस्टिंग में भी इतनी जोर साउंड वेव्स क्रिएट होती है, कि उन्हें करीब 100 किलोमीटर दूर से भी अच्छे इंस्ट्रूमेंट की मदद से सुना जा सकता है। लेकिन इसे उस समय क्यों नहीं शेयर किया गया। पहला ओबवियसली क्योंकि यह मिशन एक टॉप सीक्रेट मिशन था और उसकी डिटेल्स बाहर आने से ना सिर्फ रूस और सचेत हो सकता था, बल्कि दोनों देशों के बीच पॉलिटिकल टेंशंस भी बढ़ सकती थी। गवर्नमेंट ने इन इंसिटेंट्स के बारे में साल 1992 के बाद ही वॉकल होना शुरू किया था। जब यूएस आर पूरी तरह कॉलेप्स हो चुका था और यूएस रिलेटेड टॉप सीक्रेट, उतने पॉलीटिकल इन स्टेबिलिटी की वजह नहीं बन सकते थे। अब इस घटना को लेकर एक और चीज काफी ज्यादा पॉपुलर हुई थी और वह था लोहे का यह छोटा सा टुकड़ा, जो रिपोर्टेडली साल 1947 में रोज-रॉयस इंसिडेंट के अराउंड मिला था और कुछ तो इवेंट यह तक कहते हैं, कि यह उसी ऑब्जेक्ट से ही गिरा था। जिसे गवर्नमेंट दुनिया से छिपाती है, बट क्या यह सच है, इसके लिए टू द स्टार सेकंड अकेडेमी, जिसका काम ही है. दुनिया में ऐसी यूएफओ रिलेटेड चीजों को देखना।

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    एनालिसिस ऑफ ए मैटेलिक स्पेसिमेन-

    टू द् स्टार ने OAK Ridge नेशनल लैबोरेट्री के साथ कोलैबोरेट करके यह मेटल पीस अपनी लैब में मंगवाया और दो चीज पता करने की कोशिश की। पहली तो यह क्या यह मेटल वाकई हमारी पृथ्वी के बाहर से आई है। जैसा कि इसको लेकर क्लेम किया जाता है और दूसरा यह की क्या यह मेटल तेरह हार्ट वेवलेंथ के वेव गाइड की तरह काम कर सकता है या लैविटेशन और हाई स्पीड ट्रैवल को सपोर्ट कर सकता है। जिसका पूरा लेखा जोखा पब्लिश हुआ एनालिसिस ऑफ ए मैटेलिक स्पेसिमेन नाम के इस रिसर्च पेपर में। अभी इस रिसर्च को कंडक्ट करने के दौरान सैंपल के स्ट्रक्चर केमिकल कंपोजिशन और आइसोटोप रेश्यो को कई मैथर्ड जैसे माइक्रोस्कोपिक, स्पेक्ट्रोस्कॉपी और स्पेक्ट्रोमेट्री के थ्रू एनालिसिस किया गया और एट द एंड ऑफ़ द रिसर्च ना सिर्फ यह पता चला कि यह मेटल उन रिक्वायरमेंट को नहीं मिट कर रहा था।

    जिससे कि यह तेरा हार्ट वेवलेंथ को गाइड कर सके। इसके अलावा यह बात भी क्लियर हो गई कि यह मेटल मैग्नीशियम जिंक से मिलकर बना हुआ था। जैसे कुछ मीड 20th सेंचुरी में मैग्निशियम एलॉय एक्सपेरिमेंट्स के दौरान प्रोड्यूस किया गया था। इसका मतलब यह बात कंपलीटली सर्टेन थी, कि इसे बनाया भी धरती पर ही गया था और इसका बाहरी दुनिया से कोई भी संबंध नहीं था। अब ऐसे ही और भी कई ऑब्जेक्ट है, जो इस मिस्ट्री के एविडेंस के रूप में पेश किए गए थे। पर बाद में ढोंग साबित हुए थे, ऐसे में आपके हिसाब से उस दिन जो कुछ भी हुआ, वह महज़ एक अफवाह थी या छिपी हुई सच्चाई। हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताना, वैसे दोस्तों आपके हिसाब से क्या वाकई में यूएफऑस होते हैं। अपनी राय लिख कर हमें जरूर बताएं और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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