Tips for Sawan 2023: सावन यानी भगवान शिव का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, हिंदू धर्म में सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष पूजा की जाती है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी लोक पर आते हैं और भगवान शिव की कृपा से कई तरह के दोषों से मुक्ति भी मिल जाती है। शनि दोष से लेकर पितृदोष तक पीड़ित व्यक्ति को सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस पवित्र महीने में सभी को शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए।
शिवलिंग के आगे मिट्टी का दीपक-
लेकिन सावन के इस महीने में भगवान शिव की अर्चना करने का भी विधान होता है। शिवलिंग की पूजा करने से ही भक्तों को सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। इसके साथ ही भाग्य भी उनका साथ देने लगता है, इसके लिए आपको सावन के महीने में प्रतिदिन शिवलिंग के आगे मिट्टी का दीपक जलाना चाहिए।
नियमित रूप से चावल अर्पित-
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को नियमित रूप से चावल अर्पित करने से धन लाभ के योग बनते हैं और अगर सावन के महीने में इसकी शुरुआत की जाए तो यह बहुत ही खास माना जाता है। चावल अर्पित करते समय हमें इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए, कि चावल साबुत होना चाहिए। चावल का दाना टूटा हुआ नहीं होना चाहिए, अगर शिव पूजा के दौरान टूटे हुए चावल चढ़ाए जाते हैं तो इससे फल नहीं मिलता।
भौतिक सुखों की प्राप्ति-
ज्योतिष शास्त्र में चावल को शुक्र ग्रह का धान माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शुक्र ग्रह के प्रभाव से ही व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, कुंडली में शुक्र के अशुभ स्थिति में होने के से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए ग्रह के शुभ फल पाने के लिए भगवान शिव को चावल अर्पित करना चाहिए।
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महुए के तेल वाला दीपक-
ऐसा माना जाता है कि महुए के तेल में आठ बाती वाला दीपक शिवलिंग के आगे जलाने से कर्ज मुक्ति मिलती है। अगर आपने किसी भी प्रकार का ऋण लिया है तो यह उपाय करने से वह आसानी से निपट जाता है। महुआ के तेल में 8 बत्ती वाला दीपक जलाने से सभी प्रकार की बीमारियां भी दूर हो जाती है, यह उपाय आपको सावन के 59 दिनों में प्रतिदिन करना चाहिए। दीपक जलाने के बाद ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप भी करना चाहिए।
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शिव जी का जलाभिषेक-
सावन के महीने में स्नान आदि के बाद शिव जी का जल अभिषेक करें, उसके बाद भगवान शिव को धतूरा, आंक के फूल, बेलपत्र आदि अर्पित करें, फिर एक मुट्ठी चावल भगवान शिव को समर्पित करें।