BLO Death: देश में मतदाता सूची के Special Intensive Revision (SIR) के दौरान Booth Level Officers (BLOs) की लगातार मौतें एक बड़े संकट की ओर इशारा कर रही हैं। पिछले एक हफ्ते में कम से कम 10 BLOs की मौत हो चुकी है, जिनमें से ज्यादातर मामले काम के भारी दबाव और मानसिक तनाव से जुड़े हैं। ये आंकड़े सिर्फ संख्याएं नहीं, बल्कि उन परिवारों की टूटी हुई जिंदगियों की कहानी हैं, जिन्होंने अपने कमाने वाले को खो दिया।
मुरादाबाद में सर्वेश कुमार की दिल दहला देने वाली मौत-
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 46 वर्षीय शिक्षक सर्वेश कुमार की मौत ने पूरे देश को हिला दिया है। पहली बार BLO की जिम्मेदारी संभाल रहे सर्वेश को उनके घर में मृत पाया गया। उनके द्वारा बनाया गया एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह अपने परिवार से माफी मांगते हुए कहते हैं, कि वह अपने काम को पूरा नहीं कर पाए। उन्होंने अपनी चार बेटियों की देखभाल करने की गुजारिश की और कहा, कि वह जीना चाहते थे, लेकिन दबाव इतना ज्यादा हो गया था कि वह सह नहीं पाए।
अपनी हस्तलिखित सुसाइड नोट में सर्वेश ने लिखा, “रातें मुश्किल से गुजरती हैं और दिन में कोई चैन नहीं मिलता। मैं जीना चाहता हूं, लेकिन क्या करूं? इस बेचैनी और घुटन में मैं खुद से ही डर जाता हूं।” उनकी पत्नी बबली ने बताया कि कई दिनों से वह रात में सिर्फ दो से तीन घंटे ही सो पाते थे। डिजिटल प्रोसेस, फोर्म अपलोड्स और डेली टारगेट्स को समझने में उन्हें परेशानी हो रही थी। लगातार अधिकारियों के मैसेज आ रहे थे, जिनमें अपडेट्स मांगे जा रहे थे और चेतावनी दी जा रही थी, कि काम पूरा न होने पर कार्रवाई होगी।
परिवार की मांग और प्रशासन का रुख-
सर्वेश के परिवार में चार नाबालिग बेटियां और बुजुर्ग मां हैं। परिवार ने पोस्टमॉर्टम्स से इनकार कर दिया है और 5 करोड़ रुपये मुआवजे के साथ किसी परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग की है। मुरादाबाद के जिलाधिकारी अनुज सिंह ने बताया कि सर्वेश का काम संतोषजनक था और उन्होंने लगभग अपने सभी टास्क पूरे कर लिए थे। उन्होंने कहा कि परिवार को नौकरी, आर्थिक मदद और बच्चियों की शिक्षा का पूरा खर्च दिया जाएगा।
BLOs का असहनीय कार्यभार-
BLOs मतदाताओं की जानकारी वेरिफाई करने और चुनावी सूची को सटीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। घर-घर जाकर डेटा कलेक्शन करना, ऑफिशियल रिकॉर्ड से एंट्रीज़ मिलाना, हजारों फोर्म्स डिस्ट्रिब्यूट करना और बार-बार घरों में जाकर वेरिफिकेशन करना उनकी जिम्मेदारियां हैं। 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे SIR drive के दौरान ये अधिकारी अपने नियमित कर्तव्यों के अलावा दिन में 14 से 18 घंटे काम कर रहे हैं, वो भी बहुत कम वेतन पर।
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पिछले हफ्ते बंगाल के नदिया से रिंकू तरफदार, कमल नस्कर और जाकिर हुसैन, केरल से अनीश जॉर्ज, राजस्थान से हरिओम बैरवा और गुजरात के चार शिक्षकों की मौत हुई है। कई अन्य BLOs ने असहनीय वर्कलोड के खिलाफ प्रोटेस्ट में इस्तीफा दे दिया है। ये घटनाएं सवाल उठाती हैं, कि क्या लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश में हम अपने फ्रंटलाइन वर्कर्स की जिंदगियों की कीमत चुका रहे हैं।
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