Haryana Pollution: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या हर साल सर्दियों में गंभीर रूप ले लेती है। लेकिन इस बार एक अच्छी खबर आई है। हरियाणा सरकार ने मंगलवार को केंद्र सरकार को बताया, कि राज्य में पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में लगभग आधी हो गई हैं। यह कमी सरकार की लगातार मेहनत और समन्वित प्रयासों का नतीजा है, जो दिल्ली एनसीआर के करोड़ों लोगों के लिए राहत की सांस लेकर आया है।
केंद्रीय बैठक में पेश की गई एक्शन प्लान-
यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज की तरफ से आयोजित एक रिव्यू मीटिंग में हरियाणा सरकार ने दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कंट्रोल के लिए अपनी इंटेंसिफाइड एक्शन प्लान पेश की। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एनवायरमेंट, फॉरेस्ट्स एंड वाइल्डलाइफ सुधीर राजपाल ने बताया, कि लगातार और समन्वित प्रयासों की वजह से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। यह मीटिंग सेक्रेटरी एमओईएफसीसी तन्मय कुमार की अध्यक्षता में हुई थी।
ऑफिशियल स्पोक्सपर्सन ने बताया, कि एसीएस ने केंद्रीय अधिकारियों को जानकारी दी कि हरियाणा ने एनसीआर से जुड़े जिलों में प्रदूषण कम करने के लिए कई बड़े सेक्टर्स में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म उपायों की एक सीरीज़ शुरू की है। इनमें ट्रांसपोर्ट, एग्रीकल्चर, म्युनिसिपल मैनेजमेंट और पावर जनरेशन जैसे अहम क्षेत्र शामिल हैं।
वाहनों से होने वाले प्रदूषण में भी आई कमी-
राजपाल ने बताया, कि वाहनों से निकलने वाले एमिशन को कम करने के उपायों ने भी अच्छे रिज़ल्ट दिए हैं। डीज़ल से चलने वाले ऑटो को सड़कों से हटा दिया गया है। गुरुग्राम और फरीदाबाद में मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें लगाई गई हैं और शहरी इलाकों में सड़क की धूल को कंट्रोल करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। ये छोटे छोटे कदम दिखने में भले ही साधारण लगें लेकिन इनका असर हवा की क्वालिटी पर साफ दिखाई दे रहा है।
स्पोक्सपर्सन ने कहा, कि एनसीआर से बाहर के जिलों में ईंट के भट्ठों ने अब धान के भूसे से बने पेलेट्स और ब्रिकेट्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे दो फायदे हो रहे हैं। एक तो क्लीन फ्यूल का इस्तेमाल बढ़ रहा है और दूसरा पराली मैनेजमेंट में भी मदद मिल रही है। पहले पराली को जलाया जाता था जिससे भयंकर प्रदूषण होता था लेकिन अब उसी पराली का इस्तेमाल ईंधन बनाने में हो रहा है।
टेक्नोलॉजी की मदद से फार्म फायर की मॉनिटरिंग-
आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए गुरुग्राम और फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटीज़ ने आईटी बेस्ड टेक्नोलॉजिकल सिस्टम्स लगाए हैं, जो फार्म फायर यानी खेतों में आग लगने की रियल टाइम मॉनिटरिंग करते हैं। इससे तुरंत पता चल जाता है कि कहां पराली जलाई जा रही है और फौरन एक्शन लिया जा सकता है। यह व्यवस्था बेहद कारगर साबित हो रही है। क्योंकि अब किसानों को पता है, कि उन पर नज़र है और पराली जलाने पर तुरंत कार्रवाई होगी।
इसके अलावा शहरी केंद्रों में इलेक्ट्रिक बसें भी तैनात की गई हैं, जिससे एमिशन कम हो रहे हैं। ये बसें पेट्रोल या डीज़ल की जगह बिजली से चलती हैं इसलिए इनसे बिल्कुल भी धुआं नहीं निकलता। धीरे धीरे जैसे जैसे ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स सड़कों पर आएंगे वैसे वैसे प्रदूषण में और कमी आएगी।
वर्ल्ड बैंक की मदद से क्लीन एयर प्रोग्राम-
स्पोक्सपर्सन ने बताया, कि यूनियन मिनिस्ट्री को यह भी जानकारी दी गई कि हरियाणा वर्ल्ड बैंक सपोर्टेड क्लीन एयर प्रोग्राम को लागू कर रहा है। यह प्रोजेक्ट राज्य में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करेगा और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा किए जा रहे प्रयासों के साथ तालमेल बिठाएगा। यह प्रोग्राम अलग अलग सेक्टर्स के लिए खास तौर पर एयर पॉल्यूशन कम करने के उपाय डिज़ाइन और लागू करने पर फोकस करेगा।
मिनिस्ट्री ने की डिटेल्ड रिव्यू-
एमओईएफसीसी के अधिकारियों ने मौजूदा एयर क्वालिटी सिनेरियो की रिव्यू की और राज्य सरकारों से सर्दियों के महीनों के लिए अनिवार्य पॉल्यूशन कंट्रोल एक्शन्स के इम्प्लीमेंटेशन पर डिटेल्ड अपडेट मांगे। यह बैठक इसलिए भी जरूरी थी, क्योंकि सर्दियों में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा बढ़ जाता है और लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
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हरियाणा की यह पहल दिखाती है, कि अगर सरकार गंभीरता से काम करे और सही प्लानिंग के साथ मल्टीपल सेक्टर्स में एक साथ काम हो तो प्रदूषण जैसी बड़ी समस्या को भी काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। पराली जलाने की घटनाओं में आधी कमी एक बड़ी उपलब्धि है लेकिन अभी और काम करने की जरूरत है। उम्मीद है कि आने वाले सालों में यह संख्या और कम होगी और दिल्ली एनसीआर के लोग साफ हवा में सांस ले सकेंगे।
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