Pharmacy vs Biotechnology: आज के समय में हेल्थकेयर इंडस्ट्री सबसे तेज़ी से बढ़ते हुए सेक्टर्स में से एक है। ऐसे में अगर आप मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो “सही कोर्स चुनना” आपके पूरे भविष्य को दिशा दे सकता है। खासकर दो डिग्रियां फार्मेसी (Pharmacy) और बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology) छात्रों के बीच सबसे ज़्यादा पॉपुलर हैं। दोनों ही स्वास्थ्य और विज्ञान से जुड़ी हैं, लेकिन इनका फोकस और करियर पथ एक-दूसरे से काफी अलग है।
फार्मेसी दवाओं की दुनिया को समझने की कला-
फार्मेसी का मतलब सिर्फ दवाइयां बेचना नहीं है, बल्कि यह जानना है, कि दवाएं कैसे बनती हैं, कैसे काम करती हैं और मरीजों को सही मात्रा में कैसे दी जाती हैं। इस कोर्स में फार्माकोलॉजी, मेडिसिनल केमिस्ट्री, क्लीनिकल ट्रायल्स और ड्रग रेगुलेशंस जैसे सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते हैं।
एक फार्मासिस्ट न सिर्फ अस्पतालों या क्लीनिक में काम करता है, बल्कि उसे फार्मास्यूटिकल कंपनियों, ड्रग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, क्लीनिकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन्स और रेगुलेटरी अफेयर्स में भी मौके मिलते हैं। जो लोग लोगों से जुड़कर हेल्थकेयर सर्विस देना पसंद करते हैं, उनके लिए फार्मेसी एक स्थिर और सम्मानजनक विकल्प है।
बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च और इनोवेशन की दुनिया-
दूसरी ओर, बायोटेक्नोलॉजी एक ऐसा फील्ड है, जो जीवविज्ञान (Biology) और टेक्नोलॉजी को जोड़ता है। इसमें आप जेनेटिक्स, मॉलीक्यूलर बायोलॉजी, बायोइंजीनियरिंग और लैब-बेस्ड रिसर्च जैसी चीजें सीखते हैं। बायोटेक्नोलॉजिस्ट का काम नई दवाएं, वैक्सीन या डायग्नोस्टिक तकनीकें विकसित करना होता है। वे अक्सर रिसर्च लैब्स, हॉस्पिटल्स, बायोटेक कंपनियों और फार्मा इंडस्ट्री में काम करते हैं। अगर आपको लैब में एक्सपेरिमेंट करना, नई चीजें खोजने में मज़ा आता है और आप मेडिकल साइंस में इनोवेशन लाना चाहते हैं, तो यह फील्ड आपके लिए है।
करियर और सैलरी का फर्क-
फार्मेसी ग्रेजुएट्स की शुरुआती सैलरी आमतौर पर ₹2.5–4 लाख प्रति वर्ष होती है, जबकि अनुभव बढ़ने पर यह ₹8–12 लाख प्रति वर्ष तक जा सकती है। खासकर क्लीनिकल ट्रायल्स, रेगुलेटरी अफेयर्स, R&D जैसी भूमिकाओं में सैलरी काफी आकर्षक होती है। यह करियर उन लोगों के लिए बेहतर है, जो स्थिरता और मरीजों से डायरेक्ट जुड़ाव चाहते हैं।
बायोटेक्नोलॉजी ग्रेजुएट्स की एंट्री-लेवल सैलरी ₹3–5.5 लाख प्रति वर्ष के बीच होती है, जो सीनियर लेवल पर ₹9–18 लाख या उससे ज्यादा तक पहुंच सकती है। खासकर जेनेटिक्स, ड्रग डेवलपमेंट, पर्सनलाइज्ड मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में बायोटेक्नोलॉजिस्ट्स की मांग वैश्विक स्तर पर बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।
स्किल्स और फ्यूचर ट्रेंड्स-
फार्मेसी के छात्र दवाओं की बनावट, असर और सुरक्षित उपयोग को गहराई से समझते हैं। उन्हें पेशेंट केयर, डोज़ एडवाइस, और मेडिकेशन काउंसलिंग जैसी स्किल्स में ट्रेन किया जाता है। आने वाले समय में डिजिटल हेल्थकेयर और क्लीनिकल रिसर्च में फार्मासिस्ट्स की अहम भूमिका रहने वाली है।
वहीं, बायोटेक्नोलॉजी छात्रों को लैब स्किल्स, जेनेटिक एनालिसिस, और मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक्स की ट्रेनिंग दी जाती है। इस फील्ड में जीन थेरेपी, वैक्सीन डेवलपमेंट, और बायोइंजीनियर्ड प्रोडक्ट्स जैसी एडवांस टेक्नोलॉजीज पर काम करने का मौका मिलता है।
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कौन-सी डिग्री चुनें?
अगर आप स्थिर करियर चाहते हैं, जिसमें सीधे मरीजों से जुड़कर काम करने का मौका मिले, तो फार्मेसी आपके लिए बेस्ट है। यह आपको हॉस्पिटल्स, क्लीनिक्स, या फार्मा कंपनियों में सुरक्षित और संतुलित करियर ग्रोथ देता है।
लेकिन अगर आप रिसर्च और इनोवेशन की दुनिया में कुछ नया करना चाहते हैं, तो बायोटेक्नोलॉजी आपके लिए सही रास्ता है। इसमें आपको नए-नए एक्सपेरिमेंट्स करने, वैक्सीन बनाने और मेडिकल टेक्नोलॉजी के भविष्य को बदलने का अवसर मिलता है। आखिरकार, चुनाव आपके इंटरेस्ट और गोल्स पर निर्भर करता है, फार्मेसी आपको स्थिरता देती है, जबकि बायोटेक्नोलॉजी आपको इनोवेशन की ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।
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