UPI Transaction Limit: नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की ट्रांजैक्शन लिमिट बढ़ाकर आम लोगों के लिए बड़े पेमेंट को आसान बना दिया है। यह बदलाव उन करोड़ों भारतीयों के लिए राहत की बात है, जो रोजाना UPI का इस्तेमाल करते हैं।
टैक्स पेमेंट के लिए बड़ी राहत-
सबसे बड़ी खुशखबरी उन लोगों के लिए है, जो टैक्स का भुगतान करते हैं। अब आप यूपीआई के जरिए एक बार में 5 लाख रुपए तक का टैक्स पेमेंट कर सकते हैं। पहले यह लिमिट बहुत कम थी, जिससे बड़ी रकम का भुगतान करने के लिए कई बार ट्रांजैक्शन करना पड़ता था। यह नियम सरकारी ई-मार्केटप्लेस, यात्रा और अन्य व्यापारिक लेनदेन के लिए भी लागू होता है।
बीमा और कैपिटल मार्केट के लिए 10 लाख की सुविधा-
यह सिर्फ टैक्स पेमेंट तक सीमित नहीं है। अब बीमा प्रीमियम और कैपिटल मार्केट की श्रेणी में आने वाले पेमेंट के लिए दैनिक लिमिट 10 लाख रुपए कर दी गई है। इसका मतलब है, कि 24 घंटे में आप इन श्रेणियों में 10 लाख रुपए तक का भुगतान कर सकते हैं। यह खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो शेयर मार्केट में निवेश करते हैं या बीमा की बड़ी रकम का भुगतान करते हैं। अब उन्हें बैंक जाने या चेक के चक्कर में नहीं पड़ना होगा। घर बैठे मोबाइल से ही सारा काम हो जाएगा।
भीम ऐप ने की पुष्टि-
एनपीसीआई के आधिकारिक यूपीआई ऐप भीम ने भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस अपडेट की पुष्टि की है। उन्होंने लिखा है, कि 15 सितंबर से अब UPI के साथ हाई-वैल्यू पेमेंट आसानी से करें। एनपीसीआई ने बीमा प्रीमियम और कैपिटल मार्केट जैसी श्रेणियों के लिए 24 घंटे में 10 लाख रुपए की ट्रांजैक्शन लिमिट बढ़ाई है, जो बड़े पेमेंट को पहले से कहीं आसान और तेज़ बनाता है।
वेरिफाइड मर्चेंट के लिए खास नियम-
यह बढ़ी हुई लिमिट सिर्फ उन मर्चेंट के लिए लागू होगी, जो “वेरिफाइड मर्चेंट” की श्रेणी में आते हैं। एनपीसीआई ने बैंकों और उपयोगकर्ताओं के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। बैंकों की जिम्मेदारी है, कि वे यह सुनिश्चित करें, कि ये मर्चेंट UPI के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। इसका फायदा यह है, कि धोखाधड़ी या गलत इस्तेमाल की संभावना कम हो जाएगी। केवल सत्यापित और भरोसेमंद मर्चेंट ही इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
बैंकों के पास अपना अधिकार-
एक महत्वपूर्ण बात यह है, कि एनपीसीआई ने साफ किया है, कि सदस्य बैंकों के पास अपनी आंतरिक लिमिट सेट करने का अधिकार है। यानी अगर कोई बैंक चाहे, तो एनपीसीआई की समग्र सीमा के अंदर रहते हुए अपनी अलग लिमिट रख सकता है। यह ग्राहकों की सुरक्षा और बैंक की नीतियों के हिसाब से होगा।
पी2पी पेमेंट अभी भी वही-
एक बात जो अपरिवर्तित रही है, वह है पीयर-टू-पीयर (पी2पी) यानी व्यक्तिगत भुगतान की लिमिट। अगर आप अपने दोस्त या रिश्तेदार को पैसे भेज रहे हैं, तो वह लिमिट अभी भी पहले जैसी ही रहेगी। यह बदलाव केवल व्यापारिक और वाणिज्यिक ट्रांजैक्शन के लिए है।
आम आदमी को क्या फायदा-
इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा, जो नियमित आधार पर बड़े पेमेंट करते हैं। छोटे और बड़े व्यापारी अब आसानी से अपने आपूर्तिकर्ताओं को पेमेंट कर सकेंगे। चार्टर्ड अकाउंटेंट और टैक्स सलाहकार के लिए भी यह बहुत सुविधाजनक है, क्योंकि अब वे क्लाइंट्स के टैक्स का भुगतान एक ही ट्रांजैक्शन में कर सकते हैं। बीमा एजेंट और निवेश सलाहकार के लिए भी यह एक बड़ी राहत है। अब उन्हें ग्राहकों के प्रीमियम या निवेश के लिए कई ट्रांजैक्शन नहीं करने पड़ेंगे।
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तकनीकी सुरक्षा भी बढ़ाई गई-
एनपीसीआई ने सिर्फ लिमिट ही नहीं बढ़ाई है, बल्कि सुरक्षा के मामले में भी सख्ती बरती है। वेरिफाइड मर्चेंट की शर्त इसी का हिस्सा है। इससे यह सुनिश्चित होता है, कि जो भी व्यापारी इस बढ़ी हुई लिमिट का फायदा उठाना चाहते हैं, वे पहले से ही सत्यापित और भरोसेमंद हों। यह व्यवस्था फर्जी कंपनियों और धोखेबाजों को बड़ी रकम के साथ गलत काम करने से रोकेगी। ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रहेगा और डिजिटल पेमेंट के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ेगा।
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