Bharat Bandh
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    Bharat Bandh: बुधवार को पूरे भारत में 25 करोड़ से ज्यादा मजदूर एक साथ हड़ताल करने वाले हैं। इस भारत बंद का आह्वान 10 मुख्य मजदूर संघों ने मिलकर किया है। इन संघों का कहना है, कि केंद्र सरकार की नीतियां मजदूरों और किसानों के खिलाफ हैं और केवल बड़ी कंपनियों का फायदा करती हैं।

    यह हड़ताल इतनी बड़ी है कि इससे देश की रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी। बैंकों से लेकर रेलवे तक, स्कूलों से लेकर फैक्ट्रियों तक, हर जगह इसका असर दिखेगा। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा है कि बैंकिंग, पोस्ट, कोयला खनन, कारखाने और राज्य परिवहन सेवाएं सभी प्रभावित होंगी।

    Bharat Bandh कई महीनों से चल रही है तैयारी-

    AITUC, CITU, HMS, INTUC, SEWA जैसे मजदूर संघ पिछले कई महीनों से इस हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। AITUC की अमरजीत कौर ने बताया कि 25 करोड़ से ज्यादा मजदूर इसमें हिस्सा लेने वाले हैं। सिर्फ शहरी मजदूर ही नहीं, बल्कि किसान और गांव के मजदूर भी इस हड़ताल में शामिल होंगे।

    यह हड़ताल इसलिए खास है क्योंकि इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के मजदूर एक साथ आ रहे हैं। चाहे वो बैंक में काम करने वाले हों या फैक्ट्री में, सभी एक ही बात कह रहे हैं – सरकार की नीतियां गलत हैं।

    Bharat Bandh क्या बंद रहेगा और क्या खुला रहेगा-

    इस भारत बंद का सबसे ज्यादा असर बैंकिंग और बीमा सेवाओं पर पड़ेगा। अगर आपको बैंक का कोई काम है तो वो बुधवार को नहीं हो पाएगा। पोस्ट ऑफिस भी बंद रहेंगे, इसलिए चिट्ठी-पत्री या पैसे भेजने का काम रुक जाएगा।

    कोयला खनन और फैक्ट्रियों में भी काम नहीं होगा। इससे बिजली की समस्या हो सकती है। परिवहन व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित होगी। बसों और अन्य सार्वजनिक परिवहन में दिक्कत आएगी। शिक्षा व्यवस्था भी रुकेगी। कई स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे। सरकारी दफ्तरों में भी काम नहीं होगा। लेकिन कुछ चीजें चालू रहेंगी। रेलवे, बाजार और दुकानें इस बंद से छूट गई हैं। इमरजेंसी और स्वास्थ्य सेवाएं भी खुली रहेंगी। अगर किसी को अस्पताल जाना है या कोई जरूरी काम है तो वो हो सकेगा।

    मजदूरों की 17 मांगें-

    इस हड़ताल के पीछे मजदूर संघों की 17 मुख्य मांगें हैं। इन्होंने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को एक चार्टर दिया था, लेकिन सरकार ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। संघों का कहना है कि सरकार ने दस साल से ज्यादा समय से एनुअल लैबर कॉन्फ्रेस तक नहीं बुलाई है।

    मजदूरों की मुख्य परेशानियां ये हैं – नए चार लैबर कोर्स के कारण उनके अधिकार कम हो गए हैं। काम के घंटे बढ़ाए जा रहे हैं और यूनियन की शक्ति कम की जा रही है। सरकारी सेवाओं में कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्सिंग बढ़ रहा है। नई भर्तियां नहीं हो रहीं और वेतन सुधार भी नहीं हो रहा। मजदूर संघों का कहना है, कि सरकार ने वेलफेयर स्टेट को छोड़ दिया है और अब वो सिर्फ बड़ी कंपनियों का फायदा कर रही है। उनका एक जॉइंट स्टेटमेंट कहता है, कि सरकार ने मजदूरों और किसानों को भूलकर कॉर्पोरेट इंटरेस्ट को सर्व करना शुरू कर दिया है।

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    किसानों का भी साथ-

    इस हड़ताल में सिर्फ शहरी मजदूर ही नहीं बल्कि किसान भी शामिल हो रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा और कई कृषि मजदूर संघों ने इस स्ट्राइक को सपोर्ट करने की घोषणा की है। वे गांवों में रैली और प्रोटेस्ट करने का प्लान कर रहे हैं।

    किसानों की मुख्य समस्याएं हैं, आर्थिक तंगी, बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई। उनका कहना है कि सरकार उनकी सुनती ही नहीं है। यह पहली बार नहीं है जब इतनी बड़ी हड़ताल हो रही है। इससे पहले 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2023 को भी इसी तरह की नेशनवाइड स्ट्राइक्स हुई थीं। लेकिन इस बार की हड़ताल सबसे बड़ी बताई जा रही है।आम लोगों को इस हड़ताल से काफी परेशानी हो सकती है। इसलिए जरूरी काम पहले से ही निपटा लेना चाहिए। बैंकिंग का काम हो या कोई सरकारी काम, सब रुक जाएगा।

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