Himalaya Red Light: दो साल पहले 19 मई की एक रात कुछ ऐसा हुआ जो आज भी लोगों को हैरान करता है। तिब्बत के पहाड़ी इलाके में पूमोयांगकू झील के आसपास आसमान में अचानक से 105 विशाल लाल रंग की रोशनी के खंभे नजर आए। यह नजारा इतना शानदार था कि जिसने भी देखा वह मंत्रमुग्ध हो गया। हिमालय की ऊंची चोटियों के ऊपर लाल रंग की ये चमकदार किरणें कुछ इस तरह दिख रही थीं मानो आसमान में कोई दिव्य प्रकाश शो चल रहा हो।
इस अविश्वसनीय दृश्य को दो कैमरा शौकीनों ने अपने लेंस में कैद कर लिया। इन्होंने जो तस्वीरें खींची थीं, उनकी पूरी कहानी अब स्प्रिंगर नेचर की एक रिसर्च रिपोर्ट में छपी है। आखिरकार वैज्ञानिकों ने इस पहेली का हल निकाल लिया है कि आखिर ये चमकदार लाल खंभे कैसे और क्यों बने थे।
Himalaya Red Light वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा-
इंडिया टूडे के मुताबिक, चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने अपने विस्तृत अध्ययन के बाद बताया, कि यह दक्षिण एशिया के किसी भी तूफान के ऊपर अब तक देखे गए, सबसे बड़े रेड स्प्राइट्स का प्रकोप था। उनका यह शोध एडवांसेस इन एटमॉस्फेरिक साइंसेज में प्रकाशित हुआ है। इस खोज ने वैज्ञानिक समुदाय में तहलका मचा दिया है क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर रेड स्प्राइट्स का दिखना बेहद दुर्लभ है।
A spectacular display of more than a hundred "red sprite" lightning strikes has been captured over the Himalayas in Tibet.
Rare phenomena have become increasingly frequent.🧐 pic.twitter.com/mATLh0qEUU— Bronze Giant (@RjNol) June 29, 2025
वैज्ञानिकों के अनुसार, ये रेड स्प्राइट्स एक विशेष प्रकार की उच्च ऊंचाई पर होने वाली बिजली है जो पृथ्वी की सतह से 40 से 55 मील ऊपर दिखाई देती है। यह सामान्य बिजली से बिल्कुल अलग होती है और इसकी अपनी विशेषताएं हैं।
Himalaya Red Light क्या थे ये रहस्यमय प्रकाश स्तंभ?
रेड स्प्राइट्स एक दुर्लभ और रहस्यमय प्रकार की उच्च ऊंचाई पर होने वाली बिजली है। ये पृथ्वी की सतह से 40 से 55 मील की ऊंचाई पर दिखाई देती है, जो सामान्य तूफानी बादलों से कहीं ज्यादा ऊपर होती है। इनकी सबसे खास बात यह है कि ये सामान्य बिजली की तरह नहीं दिखतीं बल्कि जेलिफिश के आकार में लाल रंग की चमकीली फ्लैश के रूप में दिखाई देती हैं।
कई बार इन लाल स्प्राइट्स के ऊपर नीले रंग की बारीक शाखाएं भी दिखाई देती हैं, जो इन्हें और भी खूबसूरत बनाती हैं। उस रात दो चीनी खगोल फोटोग्राफर एंजेल आन और शुचांग डोंग ने इस पूरे नजारे को कैद किया था। उन्होंने न केवल 105 रेड स्प्राइट्स देखे बल्कि 16 सेकेंडरी जेट्स और कम से कम चार हरे रंग के उत्सर्जन भी देखे जिन्हें घोस्ट स्प्राइट्स कहते हैं।
कैसे बने ये प्रकाश स्तंभ?
वैज्ञानिकों की खोज के अनुसार, ये स्प्राइट्स शक्तिशाली बिजली के कारण बने थे जो बादलों के ऊपरी हिस्से से जमीन पर गिरी थी। ये बिजली के कड़के एक विशाल तूफानी प्रणाली से आए थे जिसे मेसोस्केल कंवेक्टिव कॉम्प्लेक्स कहते हैं। यह तूफान इतना विशाल था कि इसने दो लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा क्षेत्र को कवर किया था। यह गंगा के मैदानों से शुरू होकर तिब्बती पठार तक फैला हुआ था।
इस तूफान से निकलने वाली बिजली मुख्यतः सकारात्मक प्रकार की थी और इसकी शक्ति 50 किलोएम्पीयर से भी ज्यादा थी। ये बिजली के कड़के तूफान के चपटे और व्यापक हिस्से में हुए थे, जो अमेरिका के ग्रेट प्लेन्स और यूरोप के तटीय इलाकों में देखे जाने वाले बड़े तूफानों के समान था।
वैज्ञानिक तकनीक का कमाल-
इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नवीन तकनीक विकसित की। उन्होंने वीडियो फ्रेम्स को सैटेलाइट की गति और तारों के क्षेत्र के डेटा के साथ जोड़ा। इससे उन्हें एक सेकेंड की सटीकता मिली। इस तकनीक की मदद से वे लगभग 70 प्रतिशत स्प्राइट्स को उनकी बिजली के कड़कों से जोड़ने में सफल हुए। यह खोज बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे तूफान और ऊपरी वायुमंडल के बीच के संबंध को समझने में मदद मिली है। पहले वैज्ञानिक इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि इतनी ऊंचाई पर ये विद्युत निर्वहन कैसे होते हैं।
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हिमालयी तूफानों की नई खोज-
इस खोज से यह साबित हुआ है, कि हिमालयी तूफान दुनिया के सबसे जटिल और तीव्र ऊपरी वायुमंडलीय विद्युत निर्वहन पैदा कर सकते हैं। यह न केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि यह भविष्य के अनुसंधान के लिए नए रास्ते भी खोलती है। अब वैज्ञानिक इस बात का अध्ययन कर सकेंगे कि ऐसी घटनाओं का क्षेत्रीय और वैश्विक वायुमंडलीय प्रणालियों पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह खोज भौतिकी और रसायन विज्ञान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसी घटनाओं का अध्ययन करने से वैज्ञानिक वायुमंडल में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
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