Elon Musk
    Photo Source - Google

    Elon Musk: अरबपति एलन मस्क ने सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के महत्वपूर्ण टैक्स कटौती और खर्च बिल की तीखी आलोचना की है। मस्क ने इस बिल को "पागलपन भरा खर्च बिल" करार देते हुए कहा, कि अगर यह पास हो गया तो वे "अमेरिका पार्टी" का गठन करेंगे। टेस्ला के सीईओ और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क का यह बयान अमेरिकी राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "अगर यह पागलपन भरा खर्च बिल पास हुआ, तो अगले दिन अमेरिका पार्टी का गठन किया जाएगा।"

    Elon Musk ट्रंप के "वन बिग ब्यूटीफुल बिल" पर हमला-

    ट्रंप अपने इस बिल को "वन बिग ब्यूटीफुल बिल" कहकर प्रचारित कर रहे हैं, लेकिन मस्क इसे बिल्कुल अलग नजरिए से देख रहे हैं। उनका कहना है कि यह बिल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित होगा और देश के कर्ज को और भी बढ़ाएगा। (Elon Musk)

    मस्क का मानना है कि अमेरिका को डेमोक्रेट-रिपब्लिकन की इस एकजुट पार्टी सिस्टम के अलावा एक विकल्प की जरूरत है ताकि लोगों की आवाज सुनी जा सके। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में आम लोगों का कोई असली प्रतिनिधित्व नहीं है।

    कांग्रेस के सदस्यों पर तीखा प्रहार-

    एलन मस्क ने उन कांग्रेस सदस्यों पर भी निशाना साधा है जिन्होंने चुनाव के दौरान सरकारी खर्च कम करने का वादा किया था, लेकिन अब इस बिल का समर्थन कर रहे हैं। मस्क ने X पर लिखा, "कांग्रेस का हर वह सदस्य जिसने सरकारी खर्च कम करने का प्रचार किया और फिर तुरंत इतिहास की सबसे बड़ी कर्ज वृद्धि के लिए वोट दिया, उन्हें शर्म से सिर झुकाना चाहिए!"

    मस्क ने यहीं नहीं रुकते हुए चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा, कि अगली बार प्राइमरी इलेक्शन में ये सभी नेता हार जाएंगे और वे इसके लिए अपनी पूरी शक्ति लगाएंगे। मस्क के शब्दों में, "अगले साल प्राइमरी में ये हार जाएंगे, चाहे यह इस धरती पर मेरा आखिरी काम हो।"

    ये भी पढ़ें- 6 साल के मासूम के बैग से मिला 14 किलो गांजा, जानें कैसे हुआ खुलासा

    अमेरिकी राजनीति में नया चेप्टर-

    एलन मस्क की यह घोषणा अमेरिकी राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का संकेत हो सकती है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक होने के नाते, मस्क के पास राजनीतिक बदलाव लाने की क्षमता और संसाधन दोनों हैं। मस्क का कहना है, कि अमेरिकी जनता को एक ऐसे विकल्प की जरूरत है जो वास्तव में उनके हितों का प्रतिनिधित्व करे। उनके अनुसार, मौजूदा द्विदलीय व्यवस्था में दोनों पार्टियां एक ही तरह की नीतियां अपना रही हैं और आम जनता की आवाज दब जा रही है।

    ये भी पढ़ें- भारत का बड़ा वार! पाकिस्तानी कार्गो पर बैन से बढ़ी पाक की परेशानी