Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी इस वर्ष 24 अप्रैल दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। यह व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी का महत्व और इस दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में।
वरुथिनी एकादशी का महत्व-
वरुथिनी एकादशी को 'वरूथिनी' या 'बरूथिनी' एकादशी भी कहा जाता है। न्यूज़ 18 के मुताबिक, धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से हज़ारों वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है। इस वर्ष वरुथिनी एकादशी पर ब्रह्म योग और इंद्र योग जैसे कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
व्रत के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही, इस दिन किए गए उपायों से जीवन में धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी पर धन लाभ के उपाय-
गन्ने के रस से अभिषेक करें-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का गन्ने के रस से अभिषेक करने से विशेष धन लाभ होता है। पूजा स्थल पर कुछ सिक्के भी रखें और बाद में इन्हें लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख दें। इससे न केवल धन का आगमन होगा बल्कि उसकी स्थिरता भी बनी रहेगी।
तुलसी माता की पूजा करें-
वरुथिनी एकादशी के दिन तुलसी माता की विशेष पूजा करें, लेकिन ध्यान रहे कि तुलसी को जल अर्पित न करें। तुलसी के पौधे की सात बार परिक्रमा करें और पौधे के सामने बैठकर घी का दीपक जलाएं। तुलसी की माला से सुबह-शाम 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जाप करें। इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
नौकरी और कारोबार में उन्नति के लिए-
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद पीले रंग की वस्तुएं जैसे पीले कपड़े, पपीता, मकई, बेसन की मिठाई आदि का दान करें। इस दिन भगवान नारायण का पीले फूलों से श्रृंगार करें, सुगंधित चंदन का लेप लगाएं और बेसन के लड्डू जैसी पीली मिठाई का भोग लगाएं। यह उपाय विवाह योग बनाने के साथ-साथ नौकरी और व्यापार में उन्नति लाता है।
आर्थिक प्रगति के लिए दीपक जलाएं-
वरुथिनी एकादशी की रात को घर या भगवान नारायण के मंदिर में 9 बत्तियों वाला बड़ा दीपक जलाएं, जो रात भर जलता रहे। साथ ही माता लक्ष्मी का भी पूजन करें। इस उपाय से आर्थिक प्रगति होती है और जीवन में सुख-सौभाग्य की वृद्धि होती है।
व्रत का महत्व और विधि-
वरुथिनी एकादशी का व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक रखा जाता है। व्रत के दिन शुद्ध मन से भगवान विष्णु की पूजा करें और सात्विक भोजन से परहेज करें। कई लोग निर्जला (बिना पानी के) व्रत भी रखते हैं, जबकि कुछ फल, दूध और फलाहार ग्रहण करते हैं।
व्रत के दिन सुबह-शाम भगवान विष्णु की आराधना करें और रात्रि में जागरण करें। कथा सुनने और भजन-कीर्तन से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।
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समाचार का निष्कर्ष-
वरुथिनी एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य के लिए भी विशेष मानी जाती है। इस दिन भक्तिपूर्वक व्रत और पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। विशेष उपायों को अपनाकर आप भी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं।
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