Wilson Disease Symptoms: हैदराबाद के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक अनोखा और आंखें खोलने वाला मामला शेयर किया है, जिसने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। यह मामला एक 21 वर्षीय युवती से जुड़ा है, जो "चलते समय नाचती" थी - एक ऐसा लक्षण जिसने उसके परिवार को वर्षों तक परेशान किया। लेकिन इस अजीब सी लगने वाली हरकत के पीछे एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी थी: विल्सन डिजीज।
चार साल से थे अजीब लक्षण (Wilson Disease Symptoms)-
डॉ. कुमार के अनुसार, युवती लगभग चार वर्षों से इन असामान्य हरकतों का प्रदर्शन कर रही थी। उसके माता-पिता ने देखा कि वह चलते समय नाचती हुई प्रतीत होती थी, और उसकी बोली हमेशा स्पष्ट नहीं होती थी। हालांकि, उसमें मानसिक बीमारी के कोई संकेत नहीं थे, उसकी याददाश्त अच्छी थी, और पीलिया जैसे लिवर से संबंधित कोई लक्षण नहीं थे।
Young woman who seemed to dance while walking: Evaluation revealed a treatable disease
➡️A 21-year-old woman was brought for evaluation. She was noted by her parents to dance while walking for the past 4 years. In addition, her voice was not clear at times. She had no psychiatric… pic.twitter.com/93kpOgPV4N— Dr Sudhir Kumar MD DM (@hyderabaddoctor) April 8, 2025
जांच में मिले गंभीर बीमारी के संकेत(Wilson Disease Symptoms)-
जांच के दौरान, डॉक्टरों ने उसके शरीर के दाहिने हिस्से में कोरियोएथेटॉइड मूवमेंट्स - अनियंत्रित, मरोड़ने वाली हरकतें - देखीं, जिसके साथ डिसार्थ्रिया भी था, जो बोलने की स्पष्टता को प्रभावित करने वाली स्थिति है। ये संकेत मनोचिकित्सीय समस्या की बजाय एक न्यूरोलॉजिकल समस्या की ओर इशारा करते थे।
आंखों की जांच से मिला अहम सुराग-
एक महत्वपूर्ण खोज आंखों की जांच से आई। एक विशेष स्लिट-लैम्प परीक्षा में कैसर-फ्लेशर रिंग्स का पता चला, जो कॉर्निया के चारों ओर तांबे के जमाव हैं और विल्सन रोग के एक मजबूत संकेतक हैं। दिलचस्प बात यह है कि सेरुलोप्लास्मिन (एक प्रोटीन जो तांबा ले जाता है) के लिए उसका रक्त परीक्षण सामान्य स्तर दिखाता था। आमतौर पर, कम सेरुलोप्लास्मिन स्तर विल्सन रोग के निदान का समर्थन करते हैं, लेकिन यह 15% तक रोगियों में सामान्य हो सकता है।
MRI स्कैन से हुई पुष्टि-
उसके मस्तिष्क का MRI स्कैन और भी निदान की पुष्टि करता था। स्कैन में पॉन्स, मिडब्रेन और लेंटिफॉर्म न्यूक्लिआई जैसे क्षेत्रों में असामान्य संकेत दिखाए गए - ऐसे क्षेत्र जो आमतौर पर विल्सन रोग में प्रभावित होते हैं।
क्या है विल्सन डिजीज?
विल्सन रोग एक दुर्लभ विरासत में मिली स्थिति है जहां शरीर अतिरिक्त तांबे को ठीक से नहीं निकाल पाता है, जिससे यह लिवर, आंखों और मस्तिष्क में जमा हो जाता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर लिवर क्षति और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है।
इलाज से मिला नया जीवन-
एक बार निदान होने के बाद, युवती को केलेशन थेरेपी शुरू की गई - एक उपचार जो शरीर से अतिरिक्त तांबा निकालता है - विटामिन B6 और जिंक जैसे सप्लीमेंट्स के साथ दवा का उपयोग करके। समय के साथ, उसके लक्षणों में बोली और हरकत दोनों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाई दिया।
डॉक्टर ने बताई केस की खास बातें-
डॉ. कुमार ने इस मामले के महत्व पर प्रकाश डाला, खासकर क्योंकि यह विशिष्ट पैटर्न का पालन नहीं करता था। अधिकांश लोग विल्सन रोग को लिवर की समस्याओं से जोड़ते हैं, लेकिन इस मामले में, मुख्य संकेत न्यूरोलॉजिकल थे, और उसके तांबे के स्तर सामान्य दिखाई दिए।
मेडिकल क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सीख-
इस केस से निकले मुख्य निष्कर्ष हैं:-
- विल्सन रोग केवल मस्तिष्क से संबंधित लक्षणों के साथ दिखाई दे सकता है, बिना लिवर की समस्याओं के।
- 15% तक रोगियों में सेरुलोप्लास्मिन के स्तर सामान्य हो सकते हैं।
- आंखों की जांच और मस्तिष्क स्कैन निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- शुरुआती इलाज से बड़े सुधार हो सकते हैं।
डॉक्टर सुधीर का संदेश-
डॉ. सुधीर कुमार ने कहा, "यह मामला हमें याद दिलाता है कि कभी-कभी असामान्य लक्षणों के पीछे गंभीर चिकित्सा स्थितियां हो सकती हैं। अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को असामान्य हरकतें या अन्य अस्पष्टीकृत न्यूरोलॉजिकल लक्षण हों, तो विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने आगे बताया कि युवाओं में दिखने वाले अजीब हरकतों को कभी भी सिर्फ मानसिक या व्यवहारिक समस्या मानकर अनदेखा नहीं करना चाहिए। डॉ. कुमार ने कहा, "हमने इस मामले में देखा कि एक थोरो न्यूरोलॉजिकल मूल्यांकन, आंखों की जांच और उचित इमेजिंग स्टडीज़ के माध्यम से, हम एक जीवन बदलने वाले निदान तक पहुंच सके और समय पर इलाज शुरू कर सके।
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मेडिकल साइंस में प्रगति-
यह केस मेडिकल फील्ड में हो रही प्रगति को भी दर्शाता है। पहले जिन स्थितियों का पता लगाना मुश्किल होता था, अब उन्नत तकनीक और विशेषज्ञों की बढ़ती समझ के कारण, डॉक्टर ऐसी दुर्लभ बीमारियों का भी सटीक निदान कर पा रहे हैं और मरीजों को बेहतर जीवन की ओर ले जा रहे हैं।
यह मामला यह भी याद दिलाता है, कि मेडिकल फील्ड में ज्ञान का आदान-प्रदान कितना महत्वपूर्ण है। डॉ. कुमार द्वारा इस केस को सोशल मीडिया पर शेयर करने से अन्य डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों को भी इस दुर्लभ स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ेगी, जिससे भविष्य में और भी मरीजों को समय पर निदान और इलाज मिल सकेगा।
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