Trump Tariff Explained: भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते इन दिनों बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है, जिससे कुल टैरिफ का बोझ 50 प्रतिशत हो गया है। ट्रंप का कहना है, कि यह भारत को रूसी कच्चे तेल की खरीदारी जारी रखने की सजा है। लेकिन एक दक्षिण एशिया विशेषज्ञ के मुताबिक, इस ट्रेड वॉर के पीछे असली कारण कुछ और है, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान युद्धविराम से जुड़ा है।
ट्रंप को क्रेडिट नहीं मिला तो आया गुस्सा-
एनडीटीवी के मुताबिक, अमेरिका के विल्सन सेंटर के दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने एएनआई से बात करते हुए बताया, कि ट्रंप का गुस्सा असल में युद्धविराम के श्रेय को लेकर है। जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया, तो बाद में पाकिस्तान के अनुरोध पर युद्धविराम हुआ। लेकिन ट्रंप इसका श्रेय खुद को देना चाहता थे, जिसे भारत ने स्वीकार नहीं किया। कुगेलमैन ने कहा, कि चीन ने खड़ा होकर राष्ट्रपति ट्रंप को युद्धविराम में उनकी भूमिका के लिए श्रेय लेने से मना नहीं किया है। चीन के नेता ने ट्रंप के साथ लंबी बातचीत नहीं की है और उन्हें यह नहीं बताया है, कि क्या सही है और क्या गलत। ये सभी चीजें भारत के साथ हुई हैं।
#WATCH | Washington DC | On being asked about why President Trump is not punishing China, but targeting India (for Russian imports), Director of the South Asia Institute at the Wilson Center, Michael Kugelman says, "…China has not stood out there and refused to let President… pic.twitter.com/OkDwhu7S7t
— ANI (@ANI) August 6, 2025
प्रधानमंत्री मोदी का संसद में स्पष्ट बयान-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में साफ तौर पर कहा है, कि किसी भी विश्व नेता ने भारत से सैन्य अभियान रोकने के लिए नहीं कहा था। यह बयान ट्रंप के दावों को सीधे तौर पर खारिज करता है। भारत का यह रुख अमेरिकी राष्ट्रपति को काफी नागवार गुजरा है, क्योंकि वे इस युद्धविराम का श्रेय लेकर अपनी विदेश नीति की सफलता दिखाना चाहते थे। दूसरी तरफ पाकिस्तान ने ट्रंप के हस्तक्षेप के लिए धन्यवाद दिया है और उसे इसके बदले में व्यापारिक समझौते से नवाजा गया है। यह दोहरा मापदंड साफ तौर पर दिखता है।
भारत की स्पष्ट नीति और किसानों की सुरक्षा-
भारत ने अमेरिका के दबाव में आकर अपने कृषि क्षेत्र में ज्यादा पहुंच देने से मना कर दिया है। इससे दोनों देशों के बीच चल रही व्यापारिक वार्ता भी रुक गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के टैरिफ लगने के बाद एक मजबूत संदेश देते हुए कहा है, कि किसानों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत कभी भी अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों के साथ समझौता नहीं करेगा। मोदी ने यह भी कहा, कि मुझे पता है, कि इसके लिए मुझे व्यक्तिगत रूप से भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन मैं तैयार हूं। देश के किसानों, मछुआरों और पशुपालकों की खातिर भारत तैयार है।
रूसी तेल खरीदारी पर भारत का तर्क-
ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने का कारण रूसी कच्चे तेल की खरीदारी बताया है। लेकिन भारत का कहना है, कि वह अपने लोगों की ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूसी तेल खरीदता है। विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी कार्रवाई को अनुचित, अन्यायपूर्ण और अनुचित बताया है। मंत्रालय ने यह भी कहा है, कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, कि अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जबकि यही काम कई अन्य देश भी कर रहे हैं, जिसमें चीन भी शामिल है।
संभावनाएं और रिश्तों की मजबूती-
कुगेलमैन ने इस स्थिति को पिछले दो दशकों में भारत-अमेरिका संबंधों का सबसे बड़ा संकट बताया है। उनका कहना है, कि इसका नुकसानदायक प्रभाव हो सकता है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा, कि दोनों देशों के बीच व्यापक संबंध इन झटकों को सहन कर सकते हैं। उन्होंने कहा, कि मेरे विचार से यह पिछले दो दशकों की रणनीतिक साझेदारी में सबसे बड़ा संकट है। लेकिन मैं यह भी मानता हूं, कि इस रिश्ते को बचाने की संभावना है, न केवल प्राकृतिक साझा हितों और रणनीतिक तालमेल के कारण, बल्कि यह एक बहुआयामी रिश्ता है, जिसमें सहयोग के कई अलग-अलग क्षेत्र हैं, जो समानांतर ट्रैक पर चलते हैं।
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द्विपक्षीय व्यापार पर प्रभाव-
इस टैरिफ वॉर का असर दोनों देशों के व्यापारियों और उद्योगपतियों पर पड़ेगा। भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अपने सामान बेचने के लिए अब ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। इससे भारतीय निर्यात को नुकसान होगा और नौकरियों पर भी असर पड़ सकता है। लेकिन भारत सरकार का रुख साफ है, कि वह अपने किसानों और मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी कीमत का भुगतान करने को तैयार है।
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