Hong Kong Bomb Search: हॉन्गकॉन्ग में शुक्रवार रात एक ऐसी खबर आई, जिसने हजारों लोगों की नींद उड़ा दी। क्वारी बे इलाके में निर्माण कार्य के दौरान मजदूरों को जमीन के नीचे से कुछ ऐसा मिला, जिसे देखकर सबकी सांसें अटक गईं। यह था, द्वितीय विश्वयुद्ध का एक विशाल अमेरिकी बम, जो 80 साल बाद भी उतना ही खतरनाक था, जितना युद्ध के समय था।
रातों रात खाली करना पड़ा पूरा इलाका-
जब पुलिस और बम निष्पक्रियता विशेषज्ञों ने इस वस्तु की जांच की, तो पता चला, कि यह कोई मामूली चीज नहीं बल्कि एक जीवित बम है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एंडी चैन टिन-चू ने बताया, “हमने पुष्टि की है, कि यह द्वितीय विश्वयुद्ध का बम है।” इसके निपटान में असाधारण उच्च जोखिम को देखते हुए, अधिकारियों ने तुरंत इलाका खाली करवाने का आदेश दिया।
🤝WE’VE MADE IT
— Hong Kong Police Force (@hkpoliceforce) September 20, 2025
💣 THREAT: NEUTRALISED
At 11:48AM (SEP 20)—experts from our #ExplosiveOrdnanceDisposal Bureau completed the disposal of a #WW2 aerial bomb unearthed in a construction site in📍Quarry Bay after embarking on the onerous task at ≈2AM, successfully neutralising… https://t.co/obwVJyjZNo pic.twitter.com/FpoYG3PiYB
रातों रात लगभग 1,900 परिवारों को अपने घर छोड़ने पड़े। कुल मिलाकर करीब 6,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। अधिकारियों ने लोगों से “तुरंत निकलने” की अपील की थी। सोचिए, कि अचानक रात में घर छोड़कर जाना कितना मुश्किल होता है, खासकर जब आपको पता हो, कि आपके घर के नीचे एक खतरनाक बम दबा हुआ है।
डेढ़ मीटर लंबा और 450 किलो वजनी मौत का सामान-
पुलिस की जांच में पता चला, कि यह बम 1.5 मीटर लंबा और लगभग 1,000 पाउंड यानी 450 किलोग्राम वजनी था। निर्माण मजदूरों द्वारा खोजे गए, इस बम ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया था। क्वारी बे हॉन्गकॉन्ग आइलैंड का एक व्यस्त आवासीय और व्यावसायिक जिला है, जहां हजारों लोग रहते और काम करते हैं।
बम निष्पक्रियता विशेषज्ञों ने शुक्रवार देर रात से इस नाजुक ऑपरेशन की शुरुआत की। यह काम इतना खतरनाक था, कि एक छोटी सी गलती से बड़ा हादसा हो सकता था। लेकिन विशेषज्ञों की कुशलता और अनुभव की बदौलत शनिवार सुबह 11:30 बजे तक बम को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया गया।
युद्ध की यादें और आज भी मिलने वाले खतरे-
सबसे राहत की बात यह रही, कि इस पूरे ऑपरेशन में किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ। हॉन्गकॉन्ग में ऐसी खोजें कोई नई बात नहीं हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानी सेना ने हॉन्गकॉन्ग पर कब्जा कर लिया था, जिसकी वजह से यह मित्र देशों की हवाई हमलों का लगातार निशाना बनता रहा।
उस समय गिराए गए कई बम आज भी शहर के नीचे दबे हुए हैं और कभी-कभी निर्माण कार्य के दौरान ये सामने आ जाते हैं। यह खोज हॉन्गकॉन्ग के युद्धकालीन अतीत की एक कड़वी याद दिलाती है, भले ही आधुनिक शहर का विस्तार और पुनर्विकास जारी है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं-
यह पहली बार नहीं है, जब हॉन्गकॉन्ग में ऐसी खोज हुई है। 2018 में वान चाई जिले में भी इसी तरह का एक बम मिला था, जिसकी वजह से 1,200 लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े थे। उस समय बम को निष्क्रिय करने में लगभग 20 घंटे लगे थे। यह दिखाता है, कि ऐसे ऑपरेशन कितने जटिल और समय लेने वाले होते हैं।
केवल हॉन्गकॉन्ग ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में आज भी युद्धकालीन बम मिलते रहते हैं। जून महीने में जर्मनी के कोलोन शहर के केंद्र से तीन अमेरिकी बम मिले थे, जिसकी वजह से 20,000 से ज्यादा लोगों को इलाका छोड़ना पड़ा था।
इतिहास के अंधेरे अध्याय का जीता जागता सबूत-
यह घटना हमें याद दिलाती है कि युद्ध का असर कितने लंबे समय तक रह सकता है। 80 साल बाद भी ये बम उतने ही खतरनाक हैं और आम लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकते हैं। हॉन्गकॉन्ग के लोगों के लिए यह एक डरावना अनुभव था, लेकिन साथ ही यह दिखाता है, कि आपातकालीन सेवाएं कितनी तत्परता से काम करती हैं।
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निर्माण कंपनियों के लिए भी यह एक सबक है, कि किसी भी निर्माण कार्य से पहले पुरातत्व और सुरक्षा की जांच कितनी जरूरी है। हॉन्गकॉन्ग जैसे शहरों में, जहां युद्ध का इतिहास है, ऐसी सावधानियां और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं। आज जब हॉन्गकॉन्ग के लोग वापस अपने घर लौट रहे हैं, तो वे राहत की सांस ले रहे हैं। लेकिन यह घटना उन्हें याद दिलाएगी, कि इतिहास कभी-कभी बहुत ही अप्रत्याशित तरीकों से हमारे सामने आता है।
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