Wife's Rights
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    Wife's Rights: विवाह के बाद जब पति-पत्नी के बीच संघर्ष, संवाद की कमी या असंगतता होती है, तो पत्नी अपने माता-पिता के घर लौटने और पति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का विकल्प चुन सकती है। ऐसी स्थिति में, वह दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पति से मासिक मेंटेनेंस की मांग कर सकती है।

    धनबाद जिला अदालत के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय कुमार के मुताबिक, जब पति पर मेंटेनेंस का आदेश जारी होता है, तो उसे अपनी पत्नी को वित्तीय सहायता प्रदान करना अनिवार्य हो जाता है।

    Wife's Rights पति की मृत्यु और मेंटेनेंस-

    लेकिन क्या होगा जब मेंटेनेंस का आदेश जारी होने के बाद पति की मृत्यु हो जाती है? क्या पत्नी अपने सास-ससुर से मेंटेनेंस की मांग कर सकती है? इस सवाल का जवाब स्पष्ट है - नहीं!

    Wife's Rights सास-ससुर पर कोई जिम्मेदारी नहीं-

    कानूनी दृष्टि से, मेंटेनेंस का दायित्व केवल पति पर निर्भर करता है, न कि उसके माता-पिता पर। पति की मृत्यु के साथ ही मेंटेनेंस का आदेश स्वतः समाप्त हो जाता है। परिणामस्वरूप, पत्नी न तो अदालत में जा सकती है और न ही अपने सास-ससुर से मेंटेनेंस की मांग कर सकती है।

    वैकल्पिक विकल्प और कानूनी अधिकार-

    हालांकि, विधवा बनने के बाद यदि पत्नी को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, तो उसके पास कई वैकल्पिक विकल्प हैं, पति की संपत्ति में उत्तराधिकार के अधिकार विधवा पेंशन योजनाएं, अन्य सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम।

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    महत्वपूर्ण कानूनी निर्देश-

    संजय कुमार का स्पष्ट मानना है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत सास-ससुर पर मेंटेनेंस देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। पत्नी को अन्य कानूनी मार्गों का सहारा लेना होगा। महिलाओं को अपने वित्तीय अधिकारों और विकल्पों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। विवाह से पहले और बाद में अपने अधिकारों को समझना बेहद महत्वपूर्ण है।

    यह लेख महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करने का एक प्रयास है। हर परिस्थिति में धैर्य, समझ और कानूनी मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है।

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