Vulture in Barabanki: बाराबंकी के आसमान में एक दुर्लभ हिमालयन गिद्ध का गिरना वन विभाग के लिए चिंता का विषय बन गया है। देवा रेंज के धन्नाग तीर्थ क्षेत्र में बिजली के तारों से टकराकर घायल हुए इस गिद्ध को वन विभाग की टीम ने तत्काल रेस्क्यू कर इलाज के लिए वन रेंज में भेजा है।
Vulture in Barabanki दुर्लभ प्रजाति की वापसी-
न्यूज़18 के मुताबिक, आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) द्वारा नियर थ्रेटेंड श्रेणी में वर्गीकृत हिमालयन गिद्ध का बाराबंकी में मिलना वन विभाग के लिए आश्चर्य का विषय है। आमतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले इस पक्षी की आबादी में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
बाराबंकी के डीएफओ आकाशदीप ने लोकल 18 को बताया, "कल धन्नाग तीर्थ से एक हिमालयन गिद्ध को रेस्क्यू किया गया। उसके दोनों पैरों में चोट आई है और फिलहाल उसका इलाज चल रहा है। पिछले कुछ दिनों से बाराबंकी जिले में काफी संख्या में गिद्ध देखे जा रहे हैं।"
Vulture in Barabanki मानव निर्मित खतरे-
बिजली के तार जैसी मानव निर्मित बाधाएं इन पक्षियों के लिए बड़ा खतरा बन रही हैं। वन विभाग ने इन पक्षियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। टीम न केवल घायल पक्षियों का इलाज कर रही है, बल्कि उनकी निगरानी भी कर रही है।
आशा की किरण-
जहां देश भर में गिद्धों की संख्या में कमी आ रही है, वहीं बाराबंकी में एक अलग ही कहानी देखने को मिल रही है। पिछले महीने जहांगीराबाद के बम्बौरा गांव के पास एक मृत जानवर के शव पर गिद्धों का झुंड देखा गया। इसी तरह की घटनाएं हैदरगढ़ और दरियाबाद जैसे अन्य कस्बों में भी देखी गई हैं, जहां गिद्धों के झुंड पेड़ों पर बैठे देखे गए।
संरक्षण की चुनौतियां और समाधान-
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि गिद्धों की वापसी प्राकृतिक संतुलन के लिए एक शुभ संकेत है। हालांकि, शहरीकरण और विकास के कारण इन पक्षियों के सामने नई चुनौतियां आ रही हैं। इसलिए वन विभाग ने स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया है।
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व्यापक योजना तैयार-
वन विभाग ने गिद्धों के संरक्षण के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है। इसमें उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा, बिजली के तारों से होने वाले खतरों को कम करने के उपाय और स्थानीय समुदायों की भागीदारी शामिल है। विभाग का मानना है कि समुदाय की सक्रिय भागीदारी से ही इन दुर्लभ पक्षियों का संरक्षण संभव है।
इस तरह, बाराबंकी में हिमालयन गिद्ध की मौजूदगी न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में भी मददगार साबित हो सकती है। वन विभाग की तत्परता और स्थानीय समुदाय का सहयोग इस दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
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