Bike Taxi Ban: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हजारों लोगों के लिए रोजाना आवागमन का सस्ता और सुविधाजनक विकल्प रही बाइक टैक्सी सेवाओं पर हाई कोर्ट ने बड़ा प्रहार किया है। 2 अप्रैल को कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में राज्य में सभी बाइक टैक्सी सेवाओं को 6 हफ्तों के भीतर निलंबित करने का आदेश दिया है। यह फैसला रैपिडो, ओला और उबर जैसी बाइक टैक्सी एग्रीगेटर कंपनियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
जस्टिस बी.एम. श्याम प्रसाद ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 3 के तहत आवश्यक दिशानिर्देश जारी नहीं करती, तब तक ये कंपनियां बाइक टैक्सी सेवाएं नहीं चला सकतीं। कोर्ट ने कहा, "परिवहन विभाग को मोटरसाइकिलों को परिवहन वाहनों के रूप में पंजीकृत करने या ऐसी सेवाओं के लिए कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट जारी करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता जब तक उचित सरकारी नियम लागू नहीं हो जाते।"
Bike Taxi Ban सरकार को 3 महीने का समय, नए नियम बनाने का निर्देश-
न्यायालय ने कर्नाटक सरकार और परिवहन विभाग को अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है और बाइक टैक्सी के लिए एक नियामक ढांचा पेश करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। फैसले में 2019 के एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें यातायात और सुरक्षा पर बाइक टैक्सी के प्रभाव की जांच की गई थी और ऐसी सेवाओं को जारी रखने से पहले स्पष्ट नीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया था।
"हमारे शहर में ट्रैफिक और पॉल्यूशन पहले से ही बड़ी समस्या है। ऐसे में बाइक टैक्सी के संचालन के लिए उचित नियम और सुरक्षा मानकों की जरूरत है," जस्टिस प्रसाद ने कहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए।
Bike Taxi Ban बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स की याचिका खारिज-
यह फैसला बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स द्वारा दायर याचिकाओं के जवाब में आया है, जिन्होंने परिवहन विभाग को दो-पहिया वाहनों को परिवहन वाहनों के रूप में पंजीकृत करने और मोटर वाहन अधिनियम के तहत आवश्यक परमिट जारी करने के लिए एक निर्देश मांगा था। हालांकि, कर्नाटक सरकार ने याचिका का विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि बाइक टैक्सी अवैध हैं, क्योंकि सफेद नंबर प्लेट वाले दो-पहिया वाहनों को व्यावसायिक रूप से संचालित करने की अनुमति नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार, जो पक्षकारों में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने बताया कि ओला ने अपनी बाइक टैक्सी सेवाएं अप्रैल 2024 में ही शुरू की थीं। हालांकि, अदालत ने कहा कि सभी बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स को आदेश का पालन करना होगा और छह सप्ताह की अवधि के भीतर अपना संचालन बंद करना होगा।
बेंगलुरु के यात्रियों पर पड़ेगा असर-
बेंगलुरु जैसे शहर में, जहां ट्रैफिक जाम आम बात है, बाइक टैक्सी ने कई लोगों के लिए किफायती और त्वरित परिवहन विकल्प के रूप में काम किया है। 28 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनुज शर्मा कहते हैं, "मैं रोजाना ऑफिस जाने के लिए रैपिडो का इस्तेमाल करता हूं। यह न सिर्फ सस्ता है बल्कि ट्रैफिक में फंसने से भी बचाता है। अब मुझे अपने डेली कम्यूट के लिए दूसरे ऑप्शन ढूंढने होंगे।" इसी तरह, 32 वर्षीय टीचर प्रिया गौड़ा कहती हैं, "स्कूल जाने के लिए बाइक टैक्सी मेरा सबसे भरोसेमंद साधन था। अब मुझे या तो ऑटो लेना पड़ेगा या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर निर्भर रहना होगा, जिससे मेरा खर्च भी बढ़ेगा और समय भी ज्यादा लगेगा।"
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया-
बाइक टैक्सी सेवा प्रदाताओं ने इस फैसले पर चिंता व्यक्त की है। रैपिडो के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे। हालांकि, यह फैसला न केवल हमारे व्यवसाय को प्रभावित करेगा बल्कि हजारों राइडर्स की आजीविका पर भी असर डालेगा जो हमारे प्लेटफॉर्म पर काम करते हैं।" उबर और ओला के प्रतिनिधियों ने भी इसी तरह की चिंताएं व्यक्त की हैं और कहा है कि वे सरकार के साथ मिलकर एक समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
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कर्नाटक हाई कोर्ट-
कर्नाटक हाई कोर्ट ने बाइक टैक्सी सेवाओं को फिर से शुरू करने से पहले एक अच्छी तरह से परिभाषित नियामक ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया है। सरकार के पास अब राज्य में बाइक टैक्सी संचालन को नियंत्रित करने वाले दिशानिर्देशों को तैयार करने और लागू करने के लिए तीन महीने का समय है। तब तक, रैपिडो, उबर और ओला जैसी कंपनियों को अपनी बाइक टैक्सी सेवाओं को रोकना होगा, जिससे शहरी परिवहन विकल्पों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
यह फैसला भारत में बाइक टैक्सी के आसपास कानूनी अस्पष्टता को रेखांकित करता है और अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है जो समान नियामक चिंताओं से जूझ रहे हैं। उद्योग अब सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है, क्योंकि नए दिशानिर्देश कर्नाटक में बाइक टैक्सी के भविष्य को निर्धारित करेंगे। "यह एक संतुलित दृष्टिकोण होना चाहिए जो उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इनोवेशन को भी प्रोत्साहित करे," ट्रांसपोर्ट पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. राहुल मिश्रा का कहना है। "कई अन्य देशों ने बाइक टैक्सी के लिए सफल रेगुलेटरी फ्रेमवर्क विकसित किए हैं, और भारत भी इनसे सीख सकता है।"
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