Kalash Sthapna: बहुत जल्द चैत्र नवरात्रि का पावन त्यौहार आने वाला है। चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है और इस दौरान 9 दिनों तक माता के विभिन्न रूपों की विधि विधान से पूजा होती है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होने वाली है और इस दौरान भक्त 9 दिनों तक माता का व्रत रखकर माता की पूजा करते हैं। नवरात्रि के 9 दिन भक्तों को कुछ बातों का ध्यान रखना काफी जरूरी होता है, जिससे की माता की आराधना सफल हो सके। आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जिसका ध्यान आपको रखना चाहिए-
साफ-सफाई और बाल दाढ़ी-
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, नवरात्रि के दौरान भक्तों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसमें साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नवरात्रि के समय घर के किसी भी हिस्से में धूल या गंदगी नहीं होनी चाहिए। मान्यता के मुताबिक, जिस घर में गंदगी होती है, वहां माता लक्ष्मी का वास नहीं होता है। नवरात्रि में भूलकर भी बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो जीवन में आपको इसके प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
कलश की स्थापना-
नवरात्रि में अगर आप घर में कलश की स्थापना करते हैं या फिर अखंड ज्योत जलाते हैं तो उस घर को भूलकर भी खाली नहीं छोड़ना चाहिए। घर में हमेशा कोई ना कोई सदस्य जरूर रहना चाहिए। नवरात्रि के दौरान दिन में सोना भी नहीं चाहिए। इन दिनों में परिवार के साथ मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं। इस दौरान घर में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। भूलकर भी तामसिक या मांसाहारी भोजन न बनाएं। इसके अलावा घर में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।
हिंदू नववर्ष की शुरूआत-
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां आदिशक्ति के नौ रुपों की विधि-विधान से पूजा होती है। देशभर में नवरात्रि के त्यौहार को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान आदि शक्ति अपने नौ रूपों में प्रकट हुई थी। इसीलिए इस दिन से अगले 9 दिनों तक माता रानी के सभी रूपों की पूजा होती है। जिनका अपना-अपना महत्व होता है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्रि से नव वर्ष के साथ की हिंदू नववर्ष की शुरूआत होती है।
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नवरात्रि घट स्थापना-
इसके साथ ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का पहला भाग काफी शुभ माना जाता है। इसलिए कलश की स्थापना भी इसी समय की जाती है। अगर किसी वजह से पहले एक तिहाई भाग में कलश की स्थापना नहीं होती, तो अभिजीत मुहूर्त में कलश की स्थापना की जा सकती है। नवरात्रि घट स्थापना को चित्रा नक्षत्र और वैदृत्ति योग में टाल देना चाहिए। हालांकि शास्त्रों में इन समय में घट स्थापना को वर्जित नहीं किया गया है। मध्य से पूर्व प्रतिपदा के समय घट स्थापना पूजा कर लेनी चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक, सूर्यउदय के बाद कुछ घंटे के अंदर ही कलश स्थापना हो जानी चाहिए। मध्यकाल के बाद या रात्री में कलश की स्थापना गलती से भी नहीं करनी चाहिए।
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