Noida Bhangel Flyover: नोएडा में लंबे समय से बंद पड़ी भांगेल एलिवेटेड रोड को अधिकारियों ने ट्रायल के आधार पर जनता के लिए खोल दिया है। यह फैसला उस समय लिया गया, जब किसान संगठनों ने इस पूर्ण हो चुकी सड़क को जबरन खोलने की धमकी दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह कदम सार्वजनिक दबाव के बाद उठाया गया।
4.5 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर 608 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। हालांकि निर्माण कार्य पूरा हो चुका था, लेकिन औपचारिक उद्घाटन समारोह का इंतज़ार करते हुए यह सड़क बंद पड़ी थी। इस देरी से आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, खासकर उन लोगों को, जो रोजाना नोएडा स्पेशल इकोनॉमिक जोन और आसपास के इलाकों में आना-जाना करते हैं।
Noida Bhangel Flyover जनता के लिए राहत की सांस-
भांगेल एलिवेटेड रोड दादरी-सूरजपुर-छलेड़ा (DSC) रोड के समानांतर चलती है और नोएडा के कई सेक्टर्स को नोएडा स्पेशल इकोनॉमिक जोन से जोड़ती है। नोएडा अथॉरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लोकेश एम ने ट्रायल ओपनिंग की घोषणा करते हुए बताया कि इससे सदरपुर, छलेड़ा और अघापुर जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों को आवाजाही में काफी सुविधा होगी। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ी राहत है।
बीकेयू-लोकशक्ति किसान समूह के नेता चौधरी बीसी प्रधान ने इस फैसले पर संतोष जताते हुए कहा, कि यह सड़क 2022 में ही पूरी हो जानी थी, लेकिन कई देरी के कारण यह अटकी रही। उन्होंने कहा, “स्थानीय निवासियों और दुकानदारों को भीषण ट्रैफिक जाम झेलना पड़ा, जबकि वे औपचारिक उद्घाटन का इंतज़ार कर रहे थे। हम अथॉरिटी के इस फैसले का स्वागत करते हैं, कि आखिरकार सड़क को खोल दिया गया।”
Noida Bhangel Flyover परियोजना का लंबा सफर-
भांगेल एलिवेटेड रोड का विचार पहली बार अगस्त 2012 में आया था। मई 2016 में इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई, लेकिन फंडिंग की समस्याओं के कारण 2020 तक काम शुरू नहीं हो सका। जून 2020 में आधिकारिक तौर पर परियोजना की शुरुआत हुई और इसे दिसंबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अंततः यह 2025 में जाकर पूरी हुई।
इस साल की शुरुआत में, डिज़ाइन में बदलाव करने पड़े, क्योंकि दो अनधिकृत इमारतों ने नियोजित रूट में बाधा डाल दी थी। यह एक और उदाहरण है कि कैसे अवैध निर्माण सार्वजनिक परियोजनाओं में देरी का कारण बनते हैं। तेरह साल की यह यात्रा दर्शाती है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में योजना से लेकर क्रियान्वयन तक कितनी चुनौतियां आती हैं।
ट्रैफिक अनुशासन की चुनौतियां-
हालांकि सड़क खुल गई है, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स में ट्रैफिक अनुशासन को लेकर चिंताएं सामने आई हैं। कुछ वाहनों को गलत दिशा में चलते हुए देखा गया। कई यात्रियों को नए रूट के बारे में जानकारी नहीं थी, जिससे एलिवेटेड स्ट्रेच के दोनों सिरों पर कंजेशन की स्थिति बन गई। यह दिखाता है, कि नई सड़कों को खोलते समय जनजागरूकता अभियान भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
नोएडा अथॉरिटी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से औपचारिक उद्घाटन की तारीख मांगी थी, लेकिन शेड्यूलिंग की समस्याओं के कारण यह कार्यक्रम टलता रहा। अंततः जनता के दबाव और किसान संगठनों की चेतावनी ने अधिकारियों को बिना औपचारिकता के ही सड़क खोलने पर मजबूर कर दिया।
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भांगेल एलिवेटेड रोड से क्षेत्र में ट्रैफिक कंजेशन में काफी कमी आने की उम्मीद है। यह नोएडा स्पेशल इकोनॉमिक जोन और आसपास के सेक्टर्स में आने-जाने वाले हजारों यात्रियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। ट्रायल फेज के दौरान अधिकारी ट्रैफिक पैटर्न की निगरानी करेंगे और सड़क की प्रभावशीलता का आकलन करेंगे।
यह घटना यह भी सिखाती है, कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में पारदर्शिता और समय पर पूर्णता कितनी जरूरी है। जब जनता का पैसा लगाया जाता है, तो उन्हें समय पर सुविधाएं मिलनी भी चाहिए। अब देखना यह होगा, कि ट्रायल फेज के बाद इस सड़क का औपचारिक उद्घाटन कब होता है और क्या यह सड़क नोएडा के ट्रैफिक सिस्टम में सुधार लाने में सफल होती है।
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