Bangladesh
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    Bangladesh: बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर तूफान आ गया है। ढाका स्थित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुना दी है। यह फैसला पिछले साल हुए छात्र विद्रोह के दौरान हिंसक कार्रवाई को लेकर आया है, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी और अंततः हसीना के पंद्रह साल के शासन का अंत हो गया था। लेकिन अवामी लीग का कहना है, कि यह पूरा मामला एक सुनियोजित ड्रामा है और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार देश को गृहयुद्ध की ओर धकेल रही है।

    ‘कंगारू कोर्ट’ में हुआ ये फैसला-

    अवामी लीग के नेता और हसीना के करीबी सहयोगी मोहिबुल हसन चौधरी ने इस फैसले को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा, कि यह एक स्टेज ड्रामा से ज्यादा कुछ नहीं है। NDTV की मानें तो, उन्होंने दावा किया, कि फैसला पहले से ही लिखा हुआ था और हसीना को अपना पक्ष रखने का कोई मौका ही नहीं दिया गया। चौधरी ने कहा, “ट्रिब्यूनल के चेयरमैन पिछले एक महीने से कोर्ट में मौजूद भी नहीं थे। कोर्ट का गठन ही अवैध है, क्योंकि अंतरिम सरकार के पास ट्रिब्यूनल के कानूनों में संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं था, जो उन्होंने हम सभी को इस कंगारू कोर्ट में ट्रायल पर रखने के लिए किया।”

    हसीना और उनके साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी मौत की सजा सुनाई गई है। दोनों फिलहाल भारत में हैं और उनकी गैरमौजूदगी में यह फैसला सुनाया गया। भारत ने अब तक उन्हें प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है, जिससे यह संभावना कम दिख रही है, कि यह सजा कभी अमल में आएगी।

    वकील चुनने की आजादी तक नहीं मिली-

    चौधरी ने आरोप लगाया, कि युनुस सरकार ने ट्रायल के दौरान किसी भी मानक प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उनका कहना है, कि हसीना को अपने वकील चुनने तक का मौका नहीं दिया गया। “हमें अपने चुने हुए वकीलों को नियुक्त करने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने हमें भगोड़ा घोषित कर दिया था। ढाका के कुछ सीनियर वकील हमारी नेता शेख हसीना के लिए लड़ना चाहते थे, लेकिन उन सभी को मना कर दिया गया। उन्हें कोर्ट जाने की इजाजत ही नहीं दी गई। तो ट्रायल हुआ जहां हमारी तरफ से कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं था,” उन्होंने कहा।

    अवामी लीग का दावा-

    युनुस सरकार ने अवामी लीग को बांग्लादेश में चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन पार्टी के नेताओं का दावा है, कि उनके साथ अब भी बहुसंख्यक जनता का समर्थन है। चौधरी ने कहा, “अवामी लीग ने 1975 से यह सब देखा है। हमें पहले भी बैन किया गया था और हम राख से फिर उठे थे। इस बार भी यही होगा।” उन्होंने युनुस सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उन्हें अपने जनसमर्थन पर इतना भरोसा है, तो फरवरी में होने वाले चुनावों में अवामी लीग को हिस्सा लेने दें। “लोगों को फैसला करने दें कि किस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए और कौन उनका प्रतिनिधित्व करे। और विधिवत चुने गए संसद में इन कानूनों की पुष्टि होनी चाहिए, फिर ट्रायल होना चाहिए।”

    गृहयुद्ध की चेतावनी-

    अवामी लीग अब अपना फोकस लोगों को युनुस सरकार की ‘फर्जी चुनावी’ प्रक्रिया में भाग न लेने के लिए मनाने पर लगा रही है। चौधरी ने कहा, “लोग उनके साथ नहीं हैं। हम अपना विरोध जारी रखेंगे। हमारे प्रधानमंत्री के बेटे साजिद वाजिद ने पहले ही कह दिया है, कि वे देश को गृहयुद्ध की ओर धकेलना चाहते हैं। अगर यही है, तो आइए इसका सामना करें।” यह बयान बांग्लादेश में बढ़ते तनाव और अस्थिरता की ओर इशारा करता है।

    पाकिस्तान से कनेक्शन का आरोप-

    अवामी लीग नेता ने अंतरिम सरकार पर पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से संबंध रखने का भी गंभीर आरोप लगाया। चौधरी ने सवाल उठाया, “पाकिस्तान के साथ इतनी नजदीकी क्यों? लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के नेताओं को बांग्लादेश में क्यों बुलाया? मौलाना फजलुर रहमान को बांग्लादेश में क्यों लाया गया? ISI अधिकारियों को बांग्लादेश में क्यों लाया गया? पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को क्यों लाया गया? बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच ज्यादा संबंध नहीं हैं।”

    उन्होंने आरोप लगाया, कि युनुस सरकार क्षेत्रीय अस्थिरता चाहती है और उन्हें पता है कि उनके पास बहुसंख्यक लोगों का समर्थन नहीं है। “वे जानते हैं कि अराजकता होगी। वे जानते हैं कि हिंसा होगी, जो वे चाहते हैं। अपनी वैधता बनाए रखने के लिए, सत्ता में अपनी पकड़ जारी रखने के लिए, वे देश को अस्थिर रखना चाहते हैं। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।”

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    हसीना का बयान और विरोध-

    हसीना ने आरोपों को अनुचित बताते हुए कहा, कि वे और खान “सद्भावना से कार्य कर रहे थे और जीवन के नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहे थे।” सोमवार को एक बयान में उन्होंने कहा, “हमने स्थिति पर नियंत्रण खो दिया, लेकिन जो हुआ उसे नागरिकों पर पूर्व नियोजित हमले के रूप में चित्रित करना तथ्यों को गलत तरीके से पढ़ना है।” उन्होंने इस फैसले को “पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताया। अवामी लीग ने इस फैसले के विरोध में मंगलवार को राष्ट्रीय बंद का आह्वान किया।

    अठहत्तर वर्षीय हसीना फैसले के खिलाफ अपील तभी कर सकती हैं जब वे 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करें या गिरफ्तार हों। फिलहाल यह संभावना बेहद कम दिख रही है।

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