Viral Video: बेंगलुरु की सड़कों पर मोमोज बेचने वाले एक शख्स की कमाई को लेकर सोशल मीडिया पर तहलका मच गया है। इंस्टाग्राम पर एक लड़की ने दावा किया है, कि यह मोमोज विक्रेता महीने में करीब 31 लाख रुपये कमाता है। यह आंकड़ा सुनकर लोगों के होश उड़ गए हैं। कई लोग इसे सच मान रहे हैं, तो कई इस पर सवाल भी उठा रहे हैं। आखिर सच्चाई क्या है, आइए जानते हैं पूरी कहानी।
एक दिन मोमोज वाले के साथ-
इंस्टाग्राम पर Cassy Pareira नाम की एक लड़की ने बेंगलुरु के मशहूर KK मोमोज स्टॉल के मालिक के साथ एक पूरा दिन बिताया। उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया, कि यह सड़क किनारे की दुकान दिन में करीब एक लाख रुपये की कमाई करती है। Cassy ने खुद ग्राहकों को मोमोज परोसे और जो आंकड़े सामने आए, वे चौंकाने वाले थे। उन्होंने अपने वीडियो में बताया, कि सिर्फ एक घंटे में उन्होंने 118 प्लेट मोमोज बेचे। एक प्लेट की कीमत 110 रुपये है और पूरे दिन में करीब 950 प्लेट बिकती हैं।
अगर इन आंकड़ों को देखें तो साधारण गणित से यह पता चलता है कि रोजाना 950 प्लेट को 110 रुपये प्रति प्लेट के हिसाब से बेचने पर करीब 1,04,500 रुपये की कमाई होती है। महीने में 30 दिन काम करने पर यह रकम 31 लाख रुपये के आसपास पहुंच जाती है। Cassy ने यह भी बताया, कि यह कमाई लगातार मेहनत और लंबे समय तक काम करने की वजह से संभव हो पाती है।
बीकॉम ग्रेजुएट से ज्यादा कमाई?
Cassy की पोस्ट में सबसे दिलचस्प बात यह थी, कि उन्होंने इस कमाई की तुलना एक बीकॉम ग्रेजुएट की तनख्वाह से की। उनका कहना है, कि एक सामान्य बीकॉम ग्रेजुएट जो किसी कंपनी में नौकरी करता है, वह इतना नहीं कमा पाता, जितना यह मोमोज वाला कमाता है।
सोशल मीडिया-
जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कुछ लोग इस कमाई से प्रभावित हैं तो कुछ इन दावों पर शक कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “यार, मैं तो साल भर में इतना नहीं कमाता।” किसी ने सवाल किया, “कौन 110 रुपये प्रति प्लेट मोमोज खरीदता है?” एक मजाकिया टिप्पणी में किसी ने लिखा, “अंबानी को प्रतियोगिता मिल गया।”
वहीं कई लोगों ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाए। एक यूजर ने पूछा, “एक घंटे में 118 प्लेट मोमोज? सच में?” किसी ने यह भी कहा, कि सड़क किनारे की दुकान पर एक प्लेट मोमोज 110 रुपये में बेचना और दिन में 900 से ज्यादा प्लेट बिकना, दोनों ही बातें झूठ लग रही हैं। एक और दिलचस्प सवाल आया, “क्या यह टैक्स भरता है?”
क्या है सच्चाई?
हालांकि यह ध्यान देने वाली बात है, कि इन दावों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है। Mint ने भी अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि वे इन दावों की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर पाए हैं। फिर भी, यह कहानी हमें यह जरूर सोचने पर मजबूर करती है, कि छोटे धंधों और स्ट्रीट फूड उद्योग में कितनी बड़ी संभावनाएं हैं।
बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में खाने के धंधे की, खासकर मोमोज जैसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड की मांग बहुत ज्यादा है। अगर स्थान सही हो, स्वाद अच्छा हो और कीमत उचित हो, तो सच में अच्छी कमाई हो सकती है। लेकिन इसके साथ ही लंबे समय तक काम करना, शारीरिक मेहनत और संचालन की चुनौतियां भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
ये भी पढ़ें- Delhi में बीच सड़क पर शख्स ने कैब ड्राइवर पर तानी पिस्तौल, देखें वायरल वीडियो
एक प्रेरणा या विवाद?
चाहे यह आंकड़े सही हों या थोड़े बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए हों, इस कहानी ने उद्यमिता और पारंपरिक नौकरियों के बीच की बहस को फिर से जिंदा कर दिया है। आज के युवाओं के लिए यह सोचने का विषय है, कि सफलता सिर्फ डिग्री या कॉर्पोरेट नौकरी में नहीं, बल्कि अपने जुनून और मेहनत में भी हो सकती है।
ये भी पढ़ें- Viral Video: सिडनी मेट्रो में ‘बेवफा बेवफा’ गाना बजाने पर इंटरनेट पर क्यों मचा बवाल? देखें वीडियो



