Phuntsog Stanzin Tsepag: लद्दाख की राजधानी लेह में हुए हिंसक प्रदर्शन के एक दिन बाद राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पार्षद फुंतसोग स्तान्जिन त्सेपग पर भीड़ को भड़काने का सीधा आरोप लगाया है। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हुए हैं। बीजेपी का दावा है, कि यह सब कांग्रेस की एक “नापाक साजिश” का हिस्सा है, जिसका मकसद बांग्लादेश, नेपाल और फिलीपींस जैसे हालात पैदा करना है।
सोनम वांगचुक के नेतृत्व में शुरू हुआ था शांतिपूर्ण प्रदर्शन-
पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में शुरू हुआ यह प्रदर्शन मूल रूप से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का विस्तार मांगने के लिए था। लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों ने आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। बीजेपी का दफ्तर और हिल काउंसिल के भवन को आग के हवाले कर दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वांगचुक के उन बयानों को इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिनमें उन्होंने “जेनजेड प्रोटेस्ट और अरब स्प्रिंग” का जिक्र किया था।
This man rioting in Ladakh is Phuntsog Stanzin Tsepag, Congress Councillor for Upper Leh Ward.
He can be clearly seen instigating the mob and participating in violence that targeted the BJP office and the Hill Council.
Is this the kind of unrest Rahul Gandhi has been… pic.twitter.com/o2WHdcCIuC
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 24, 2025
कौन हैं फुंतसोग स्तान्जिन त्सेपग-
फुंतसोग स्तान्जिन त्सेपग लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल में अपर लेह वार्ड से कांग्रेस पार्षद हैं। 2020 में त्सेपग को एक स्थानीय महिला के नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने, अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने और उसका फोन नंबर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। यह घटना दिखाती है कि त्सेपग पहले भी विवादों में रहे हैं। हाल की हिंसा के बाद अधिकारियों ने त्सेपग के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में मामला दर्ज किया है। हालांकि, त्सेपग ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि तस्वीरों में वह नहीं हैं।
#WATCH | Delhi | On protests in Leh, BJP MP Sambit Patra says, "Today, in Ladakh, attempts were made to portray some protests as being led by Gen Z. However, when investigated, it was discovered that these protests were not led by Gen Z, but by Congress. Congress councillor… pic.twitter.com/BTED6PRMfQ
— ANI (@ANI) September 24, 2025
बीजेपी के गंभीर आरोप-
बीजेपी सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्षद स्तान्जिन त्सेपग इस हिंसा के पीछे मुख्य उकसाने वाला है। पात्रा ने कहा कि अपर लेह वार्ड के इस पार्षद और उसके कार्यकर्ताओं को हिंसा भड़काते हुए कई तस्वीरें सामने आई हैं। उन्होंने दावा किया कि स्तान्जिन को हाथ में हथियार लेकर बीजेपी दफ्तर की तरफ मार्च करते हुए भी देखा गया है।
पात्रा ने आगे कहा, “स्तान्जिन त्सेपग भीड़ को भड़का रहा था और बीजेपी दफ्तर को निशाना बना रहा था। इसका वीडियो भी सामने आया है, जिसे बीजेपी ने भी पोस्ट किया है। यह पार्षद राहुल गांधी के साथ है।” बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया, कि प्रदर्शन को जेन जेड की अगुवाई में दिखाने की कोशिश की गई थी।
सोनम वांगचुक का जवाब-
बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए, सोनम वांगचुक ने कहा, कि हिंसा बीजेपी के उन वादों से मुकरने के कारण हुई, जो पार्टी ने 2020 में किए थे। उन्होंने कहा, कि क्षेत्र में बेरोजगारी भी इसकी एक बड़ी वजह है। वांगचुक ने हिंसा की निंदा करते हुए, इसे “अचानक” और “बहुत ही स्वाभाविक” बताया। उनका कहना था, कि भूख हड़ताल कर रहे साथियों की बिगड़ती सेहत के कारण यह स्थिति पैदा हुई।
वांगचुक ने राजनीतिक प्रेरणा के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा, कि युवा इसलिए निराश हैं। क्योंकि वे पिछले पांच सालों से बेरोजगार हैं। उच्च स्तर पर नौकरी के अवसर लगभग नहीं के बराबर हैं। उन्होंने कहा, “इसके अलावा लोकतंत्र को भी कुचला गया है। उनकी मांगें अधूरी रह गई हैं।”
कांग्रेस की क्षमता पर सवाल-
वांगचुक ने कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक पहुंच पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी इतनी सक्षम नहीं है, कि उनका कोई आदमी 5,000 लोगों को बुला सके। यह उनके प्रभाव के लिए बहुत ज्यादा श्रेय होगा।” उनका यह बयान इस बात को साफ करता है, कि प्रदर्शन वाकई में स्थानीय लोगों की निराशा का नतीजा था, न कि किसी राजनीतिक पार्टी की साजिश का।
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लद्दाख की समस्याओं का राजनीतिकरण-
इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है, कि लद्दाख की वास्तविक समस्याओं का राजनीतिकरण हो रहा है। राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची का विस्तार, बेरोजगारी और विकास के मुद्दे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच कहीं दब गए लगते हैं। आम जनता, जो अपनी बेसिक जरूरतों के लिए लड़ रही है, वह राजनीतिक पार्टियों के इस संघर्ष में फंसकर रह गई है।
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