Ladakh Violence: लेह में बुधवार को राज्यत्व की मांग को लेकर हुई, हिंसक घटनाओं में चार लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार के अधिकारियों ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, लद्दाख में हुई यह हिंसा कोई अचानक घटी घटना नहीं है, बल्कि “राजनीतिक और व्यक्तिगत फायदे के लिए एक शातिर साजिश” का हिस्सा है।
मामले से वाकिफ सरकारी अधिकारियों ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, “लद्दाख में जो कुछ हो रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। स्थिति अपने आप नहीं बिगड़ी है, बल्कि इसे जानबूझकर बिगाड़ा गया है।” यह हिंसा उस समय भड़की जब केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांगों पर चर्चा के लिए अगली तारीख तय कर दी थी।
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा गठित हाई पावर कमेटी और लेह एपेक्स बॉडी के प्रतिनिधियों के बीच अगला दौर 6 अक्टूबर को होना था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, “तारीख आगे बढ़ाने के अनुरोध पर 25-26 सितंबर को भी अनौपचारिक बातचीत पर विचार किया जा रहा था।”
🚨 India isn't Nepal DO NOT make it one. This madness should be addressed immediately.
— Kallkiie (@_iamkiki09) September 24, 2025
Peaceful protest? CRPF vehicles torched, BJP HQ gutted, So called Peaceful protest turns full blown violence in #Ladakh
Is this really about the sixth schedule or a well planned move to… pic.twitter.com/sKaO3qfK7c
सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप-
अंग्रेज़ी समाचार वेबाइट हिंदुस्दान टाइम्स के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों ने सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कि वांगचुक ने लंबे समय से “लद्दाख में अरब स्प्रिंग जैसे प्रदर्शन की इच्छा” जताई है। अधिकारी ने कहा, “नेपाल के ‘जेन-जेड’ प्रदर्शनों का उनका जिक्र अब एक खाका लग रहा है।”
एक अन्य अधिकारी ने आरोप लगाया, “उन्होंने यह सब अपने व्यक्तिगत गलत कामों को छुपाने के लिए कहा।” हालांकि वांगचुक ने हिंसा से खुद को अलग करने की कोशिश की है और कहा है, कि वे चाहते थे, कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस की राजनीतिक साजिश के आरोपों को भी नकारा है।
#WATCH | Leh: Thupstan Tswang Chirmain Apex body of Ladakh says,"…We have been running a movement here for a long time on four issues of Ladakh …There were some incidents that led to acts of violence. During this violence, 2-3 young men have been martyred for our cause…I… pic.twitter.com/LhHDPrADbX
— ANI (@ANI) September 24, 2025
कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप-
प्रदर्शन की हिंसक दिशा का आकलन करने वाले अधिकारियों ने कहा, “कांग्रेस नेताओं ने ऐसे बयान दिए, जो लगभग निर्देशों की तरह लग रहे थे। युवाओं को दोष नहीं देना चाहिए। उन्हें गुमराह किया गया, राजनीतिक और व्यक्तिगत फायदे की शातिर साजिश में फंसाया गया।” लद्दाख के उप-राज्यपाल कविंदर गुप्ता ने शांति की अपील करते हुए अपने सोशल मीडिया पर लिखा, “आज जो लोग मारे गए हैं, उनके लिए कौन जिम्मेदार है? वे लोग हैं, जिन्होंने प्रदर्शन को भड़काया। ऐसी चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीया ने एक्स पर पोस्ट करके आरोप लगाया, कि एक कांग्रेस नेता “दंगा” कर रहा था और लेह में भाजपा कार्यालय में आग लगाने वाली भीड़ को “भड़का” रहा था। मालवीया ने पूछा, “क्या यही वह अशांति है जिसके बारे में राहुल गांधी सपने देख रहे थे?”
Lieutenant Governor of Ladakh, Kavinder Gupta, condemns the violence in Leh and appeals to everyone to maintain peace and harmony. #LehProtests | #LadakhProtest | #LehViolence pic.twitter.com/SMhojQYN0e
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 24, 2025
‘जेन-जेड’ शब्द का विवाद-
वांगचुक ने एक वर्चुअल प्रेस मीट में कहा, “ये लोग खुद को ‘जेन जेड’ कहते हैं, इसीलिए हमने ऐसा कहा। वरना मैं उन्हें युवा कहता हूं।” जेन जेड, जो सामान्यतः सहस्राब्दी के मोड़ पर पैदा हुए लोगों के लिए इस्तेमाल होता है, नेपाल में सरकार गिराने वाले युवा प्रदर्शनकारियों के कारण एक संवेदनशील शब्द बन गया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस शब्द को लेकर तकरार हुई है। राहुल गांधी ने इसका इस्तेमाल करके मोदी सरकार से असंतुष्टि का आरोप लगाया है, जबकि सत्तारूढ़ दल के नेताओं का कहना है कि विपक्ष भारत में अराजकता चाहता है।
युवाओं को बनाया गया हथियार-
सरकारी अधिकारियों का कहना है, कि यह प्रदर्शन मुख्य रूप से लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा द्वारा बुलाया गया था। लेकिन अधिकारियों का आरोप है, कि युवाओं को “राजनीतिक और स्वार्थी हितों के लिए ढाल और तोप के गोले के रूप में इस्तेमाल किया गया।”
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यह पूरा मामला दिखाता है, कि लद्दाख की समस्या कितनी जटिल हो गई है। एक तरफ स्थानीय लोगों की वैध मांगें हैं, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दल अपने-अपने फायदे की तलाश में हैं। सबसे ज्यादा नुकसान उन युवाओं का हो रहा है, जो अपने भविष्य की चिंता में सड़कों पर उतरे हैं। लद्दाख के लोगों की समस्याओं का समाधान राजनीतिक नुकसान-फायदे में नहीं, बल्कि गंभीर बातचीत और समझदारी में है। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, खासकर जब सरकार बातचीत के लिए तैयार है।
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