GST Reforms: मोदी सरकार के हालिया जीएसटी सुधारों को लेकर अब एक बड़ा सवाल उठ रहा है, कि क्या यह बदलाव वास्तव में आम आदमी के लिए खुशखबरी है या सिर्फ एक दिखावा। एक ओर सरकार कह रही है, कि रोज़मर्रा के सामान सस्ते होंगे, लेकिन दूसरी ओर कंपनियां छोटे पैक्स की कीमत घटाने को तैयार नहीं हैं। यानी, ग्राहक को ₹5 का बिस्किट पैकेट अब भी ₹5 में ही मिलेगा, बस उसमें मात्रा थोड़ी बढ़ जाएगी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कीमत वही रहेगी, बस “वैल्यू फॉर मनी” बढ़ेगी। अब आम जनता के लिए यह राहत है या महज़ एक सांत्वना यही सबसे बड़ा सवाल है।
कंपनियां क्यों नहीं घटा रहीं छोटे पैक्स की कीमतें?
Moneycontrol की एक रिपोर्ट ने इस तस्वीर को और साफ किया है। रिपोर्ट के अनुसार, एफएमसीजी कंपनियां (FMCG companies) छोटे पैक्स की कीमतों में कोई बदलाव नहीं करेंगी। मतलब, ₹5 का बिस्किट पैकेट, ₹10 का साबुन और ₹20 का टूथपेस्ट पहले जैसे ही दाम पर बिकेंगे।
कंपनियों का कहना है, कि इन छोटे पैक्स की कीमतें सालों से तयशुदा “राउंड फिगर” पर टिकी हुई हैं। अगर इन्हें बदल दिया जाए, जैसे ₹10 की जगह ₹9 तो यह ग्राहकों को उलझन में डाल सकता है, खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों के बाज़ारों में। वहां लोग बिना सोचे-समझे ₹5, ₹10, ₹20 वाले पैक खरीदते हैं।
दाम नहीं, मात्रा बढ़ेगी-
तो आखिर कंपनियां टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक कैसे पहुँचाएँगी? जवाब है, पैक में प्रोडक्ट की मात्रा बढ़ाकर।
उदाहरण के तौर पर, ₹20 वाले चिप्स या बिस्किट पैकेट का दाम वही रहेगा, लेकिन उसमें पहले से ज्यादा प्रोडक्ट मिलेगा। इससे ग्राहकों को बेहतर “value for money” मिलेगा, जबकि कंपनियों को अपने सेलिंग प्राइस को लेकर कोई परेशानी नहीं होगी। यह तरीका इंडस्ट्री में काफी लोकप्रिय है, क्योंकि इससे मार्केट में स्थिरता बनी रहती है और ग्राहकों की आदतों में भी कोई अचानक बदलाव नहीं आता।
कंपनियों की रणनीति पर क्या बोले अधिकारी?
बिकाजी फूड्स के सीएफओ ऋषभ जैन ने साफ कहा, कि कंपनी छोटे पैक्स की कीमत घटाने के बजाय उनकी क्वांटिटी बढ़ाएगी। यानी ग्राहक को वही दाम देकर ज्यादा प्रोडक्ट मिलेगा। वहीं, डाबर के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने भी यही रणनीति कन्फर्म की। उन्होंने कहा, कि कंपनियां टैक्स का फायदा ज़रूर ग्राहकों तक पहुंचाएगी। उनका मानना है, कि कम टैक्स से डिमांड भी बढ़ेगी और रोज़मर्रा के प्रोडक्ट्स की खपत तेज़ होगी।
आम जनता के लिए क्या मायने?
ग्राहकों के लिए यह बदलाव सीधे तौर पर पॉकेट-फ्रेंडली साबित होगा। भले ही कीमतें घटेंगी नहीं, लेकिन उसी दाम पर ज्यादा प्रोडक्ट मिलना कहीं न कहीं राहत देने वाला है। सोचिए, अगर पहले ₹10 में 90 ग्राम बिस्किट मिल रहा था और अब ₹10 में 100 ग्राम मिलेगा, तो यह आम आदमी के लिए असली बचत होगी। यही वजह है, कि यह मॉडल ग्राहकों को कंफ्यूज़ किए बिना उन्हें फायदा भी देगा।
ये भी पढ़ें- Mother Dairy ने घटाए दाम! दूध से लेकर घी तक सब कुछ हुआ सस्ता, जानिए नई कीमतें
एक्सपर्ट्स की राय-
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है, कि यह कदम इंडियन मार्केट के हिसाब से बिल्कुल सही है। भारत में लोग छोटे पैक्स के बेहद “प्राइस-सेंसिटिव” होते हैं। अगर दाम बदल दिए जाते, तो दुकानदारों और ग्राहकों दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं।मात्रा बढ़ाकर कंपनियां न केवल ग्राहकों को खुश करेंगी, बल्कि अपने प्रोडक्ट की “ब्रांड वैल्यू” और भरोसे को भी बनाए रखेंगी।
मोदी सरकार के नए जीएसटी रिफॉर्म्स ने निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता दोनों को राहत पहुंचाने का रास्ता खोला है। हालांकि, एफएमसीजी कंपनियों ने दाम घटाने की जगह मात्रा बढ़ाने का जो रास्ता चुना है, वह भारतीय बाज़ार की हकीकत को देखते हुए समझदारी भरा कदम है।
ये भी पढ़ें- नशे में धुत्त पुलिसकर्मी की कार ने स्कूली बच्चों को कुचला, जानिए पूरा मामला



