Jharkhand Child Sold: झारखंड की राजधानी रांची से करीब 180 किलोमीटर दूर पलामू जिले के लेस्लीगंज क्षेत्र में एक ऐसी घटना घटी है, जो हमारे समाज की कड़वी सच्चाई को बयां करती है। गरीबी और भुखमरी की मार झेल रहे एक दंपति ने मजबूरी में अपने महीने भर के नवजात बेटे को 50 हजार रुपए में बेच दिया। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है, कि आजादी के 77 साल बाद भी हमारे देश में कुछ लोगों की स्थिति कितनी दयनीय है।
इस मामले की जानकारी मिलते ही झारखंड पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बच्चे को सुरक्षित बचाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सर्कल अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया, कि पुलिस ने न केवल बच्चे को बचाया है, बल्कि परिवार को सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा जा रहा है।
आंखों में आंसू और दिल में मजबूरी-
लोतवा गांव में रहने वाले रामचंद्र राम और उनकी पत्नी पिंकी की कहानी सुनकर किसी का भी दिल पिघल जाएगा। इस दंपति के पास पहले से ही चार बच्चे हैं और पांचवें बच्चे के आने के बाद उनकी मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। रामचंद्र राम मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते थे, लेकिन लगातार बारिश के कारण उन्हें कई महीनों से काम नहीं मिल रहा था।
परिवार की हालत इतनी खराब थी, कि वे गांव में भीख मांगने को मजबूर थे। उनके पास न तो आधार कार्ड था और न ही राशन कार्ड, जिसके कारण वे सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं उठा सकते थे। सबसे दुखदायी बात यह थी, कि उनके पास रहने के लिए घर भी नहीं था और पूरा परिवार एक टूटी-फूटी शेड के नीचे रातें बिताने को मजबूर था।
रामचंद्र राम ने मीडिया से बात करते हुए अपना दुख व्यक्त किया। उन्होंने बताया, कि प्रसव के बाद से उनकी पत्नी पिंकी की तबीयत लगातार खराब रह रही है, लेकिन उनके पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं। भूख से तड़पते बच्चों और बीमार पत्नी को देखकर उन्होंने यह दुखदायी फैसला लिया था। उन्होंने कहा, कि उनके पास न तो बच्चे को खिलाने के लिए दूध था और न ही पत्नी के इलाज के लिए पैसे थे।
पुलिस की कार्रवाई और सरकारी मदद-
जैसे ही इस घटना की जानकारी स्थानीय प्रशासन को मिली, तुरंत कार्रवाई शुरू हो गई। पलामू जिला प्रशासन ने न केवल परिवार को तत्काल 20 किलो खाद्यान्न की मदद प्रदान की, बल्कि उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की भी व्यवस्था की गई। रविवार को पुलिस ने उस टूटी शेड से बच्चे को बरामद किया, जहां वह बीमार अवस्था में पड़ा हुआ था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पलामू के जिला आयुक्त को मामले की विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं।
समाज के लिए एक चेतावनी की घंटी-
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह हमारे पूरे समाज के लिए एक चेतावनी की घंटी है। आज भी हमारे देश में कई परिवार ऐसे हैं, जो बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गरीबी की मार इतनी भयानक है, कि माता-पिता को अपनी संतान को बेचने की नौबत आ जाती है। यह स्थिति न केवल दुखदायी है, बल्कि शर्मनाक भी है।
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सरकारी योजनाएं तो मौजूद हैं, लेकिन सवाल यह है, कि क्या वे सभी जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रही हैं? इस मामले में भी दिक्कत यह थी, कि परिवार के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं थे, जिसके कारण वे सरकारी मदद नहीं ले सके। यह दिखाता है, कि हमारी व्यवस्था में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है।
डिस्क्लेमर: यह समाचार केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है। किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति में तुरंत स्थानीय प्राधिकारियों से संपर्क करें।
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