School Bomb Threat: शुक्रवार का दिन दिल्ली और बेंगलुरु के कई स्कूलों के लिए डरावना साबित हुआ, जब एक साथ 85 स्कूलों को बम की धमकी मिली। इस घटना ने न केवल हजारों बच्चों और अभिभावकों में दहशत फैलाई, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए। बेंगलुरु के 40 निजी स्कूलों और दिल्ली के 45 स्कूलों को मिली, इन धमकियों के बाद पुलिस और स्कूल प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की।
तत्काल कार्रवाई और आपातकालीन व्यवस्था-
धमकी भरे ईमेल में लिखा था “तुम सभी को सजा भुगतनी होगी”, जिसे पढ़कर स्कूल प्रशासन की रीढ़ में सिहरन दौड़ गई। खबर मिलते ही पुलिस टीम, दमकल विभाग, बम निष्क्रिय करने वाली टीम और कुत्तों की टुकड़ी तुरंत मौके पर पहुंच गई। यह मानक प्रक्रिया है, जो किसी भी बम की धमकी के लिए अपनाया जाता है, चाहे वह बाजार हो, अस्पताल हो, स्कूल हो या हवाई जहाज हो।
सुरक्षा को देखते हुए कई स्कूलों ने सावधानी के तौर पर जल्दी छुट्टी कर दी। माता-पिता परेशान होकर अपने बच्चों को लेने के लिए स्कूल पहुंचे। कई अभिभावकों का कहना था, कि “बच्चों की सुरक्षा से बड़ी कोई चीज नहीं है, चाहे यह झूठी खबर ही क्यों न हो।”
जांच में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई-
दिल्ली पुलिस की जांच में जो बात सामने आई, वह काफी परेशान करने वाली थी। 15 जुलाई को द्वारका के एक स्कूल को भेजा गया धमकी भरा, ईमेल एक 12 साल के बच्चे द्वारा भेजा गया था। जब पुलिस ने उस बच्चे का पता लगाया, तो पता चला, कि उसने यह काम किसी खास मकसद के बिना किया था। पुलिस ने बच्चे की काउंसलिंग की और उसके माता-पिता को भी सलाह दी, कि वे अपने बच्चे पर और ध्यान दें।
लेकिन 16 और 18 जुलाई को दिल्ली के अन्य स्कूलों को भेजे गए, ईमेल के पीछे का अपराधी अभी भी जांच के दायरे में है। पिछली घटनाओं में भी इसी तरह का पैटर्न देखने को मिला है। एक 12वीं कक्षा के छात्र को फरवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच कई झूठे ईमेल भेजने का दोषी पाया गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उस छात्र ने दावा किया था, कि उसने यह ईमेल “मजाक” के तौर पर भेजे थे।
साइबर अपराध की जटिलताएं-
साइबर अपराध की जांच में एक और चुनौती यह है, कि कई ईमेल हंगरी और रूस के सर्वर के जरिए भेजे जाते हैं, जिससे असली स्रोत को पहचानना मुश्किल हो जाता है। यह आधुनिक तकनीक का काला पहलू है, जहां अपराधी छुपकर काम करते हैं।
कानून की सख्त कार्रवाई-
भारत में स्कूलों को झूठी बम की धमकी देना एक गंभीर अपराध है और इसके लिए सख्त कानूनी परिणाम हैं। 2024 में लागू भारतीय न्याय संहिता इस तरह के मामलों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करती है। भारतीय न्याय संहिता के तहत झूठी बम की धमकी भेजने वाले व्यक्तियों पर कई धाराओं में आरोप लगाए जा सकते हैं। धारा 176 के अंतर्गत झूठी जानकारी देना जिससे सार्वजनिक शांति भंग हो, इसकी सजा 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकती है। धारा 353 के तहत सार्वजनिक सेवाओं में बाधा डालने पर भी 5 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, सबूत के आधार पर पुलिस अन्य धाराएं भी लगा सकती है, जैसे धारा 124 (आपराधिक धमकी) और धारा 281 (झूठी अफवाह फैलाना)।
नाबालिगों के लिए अलग व्यवस्था-
जब अपराधी एक नाबालिग होता है, तो पुलिस काउंसलिंग और चेतावनी को प्राथमिकता देती है, ताकि भविष्य में अपराध को रोका जा सके। हालांकि, यदि मामला गंभीर है, तो किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्यवाही भी शुरू की जा सकती है। कुछ मामलों में सामुदायिक सेवा भी अनिवार्य हो सकती है।
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चिंताजनक आंकड़े-
पिछले 12 महीनों (नवंबर 2024 से जुलाई 2025) में दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को लगभग 200 से 250 झूठी बम की धमकियां मिली हैं। 1 मई 2024 को एक ही दिन में लगभग 100 स्कूलों को धमकी भरे ईमेल मिले थे। दिसंबर 2024 में करीब 40 स्कूलों को ऐसी ही धमकियां मिली थीं।
यह रुझान दिखाता है, कि यह एक बढ़ती समस्या है, जिसके लिए व्यापक समाधान की जरूरत है। स्थानीय पुलिस और साइबर यूनिट की चल रही जांच का उद्देश्य है, कि परेशान करने वाले ईमेल के स्रोत को जल्दी पहचाना जाए और स्कूल समुदाय की सुरक्षा और मानसिक शांति सुनिश्चित की जाए। समाज के लिए यह एक चेतावनी है, कि हमें डिजिटल साक्षरता और साइबर जिम्मेदारी के बारे में अधिक जागरूकता फैलानी होगी, खासकर बच्चों में।
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