Karwa Chauth 2025
    Photo Source - Google

    Karwa Chauth 2025: हर साल करवा चौथ का त्योहार पूरे भारत में बेहद प्रेम, विश्वास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। खासकर विवाहित महिलाओं के लिए यह पर्व समर्पण का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। सूरज निकलने से लेकर चांद उगने तक निर्जला व्रत रखना, अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना करना, यह सब करवा चौथ की खासियत है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, कि आखिर महिलाएं चलनी से चांद और अपने पति का चेहरा क्यों देखती हैं? और इस बार व्रत खोलते समय वो कौन सी एक गलती है, जो आपको बिल्कुल नहीं करनी चाहिए?

    Karwa Chauth 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त-

    इस साल करवा चौथ शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:58 बजे से 07:11 बजे तक रहेगा। व्रत की शुरुआत सुबह 06:08 बजे होगी और चांद दिखने का समय रात 08:36 बजे तक होगा। इस दिन विवाहित महिलाएं (और अब कुछ पुरुष भी) सूर्योदय से लेकर रात में चांद दिखने तक कड़ा निर्जला व्रत रखती हैं, यानी बिना पानी और खाने के पूरा दिन बिताती हैं।

    यह व्रत सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण की गहरी भावना है। महिलाएं पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रहती हैं और शाम को सजधज कर करवा चौथ की पूजा में शामिल होती हैं। इस दौरान करवे में जल भरकर चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत कथा सुनी जाती है।

    चलनी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

    अगर हमने बॉलीवुड की फिल्मों से एक चीज सीखी है, तो वो यह, कि चलनी के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा है। जैसे ही चांद निकलता है, महिलाएं सबसे पहले चलनी से चांद को देखती हैं, फिर उसी चलनी को अपने पति के चेहरे की ओर घुमाती हैं और उसके बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। लेकिन आखिर चलनी ही क्यों?

    चलनी स्पष्टता और फोकस का प्रतीक है। इसका प्रतीकात्मक महत्व बहुत गहरा है, क्योंकि चलनी की जाली मोटे अनाज को बारीक अनाज से अलग करती है और अशुद्धियों को भी छान देती है। उसी तरह, करवा चौथ के दौरान यह जाली विकर्षणों और अशुद्धियों को छानती है और केवल वही दिखाती है, जो वास्तव में महत्वपूर्ण है। चांद को चलनी से देखना दिव्य आशीर्वाद मांगने का प्रतीक है, जबकि पति को उसी चलनी से देखना उस पवित्र, पावन ऊर्जा को वैवाहिक बंधन में लाने का प्रतीक है।

    इसके अलावा, लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं पुरुषों को सीधे नहीं देख सकती थीं, इसलिए वे घूंघट का इस्तेमाल करती थीं और चूंकि करवा चौथ की पूजा चंद्र देव की पूजा है, ऐसा माना जाता है, कि यहां भी महिलाओं के लिए घूंघट जरूरी है। चलनी एक घूंघट की तरह काम करती है, जो देखने के लिए काफी हल्की होती है लेकिन एक बाधा भी बनती है ताकि दृष्टि सीधी न हो। कुछ घरों में चलनी पर दीया रखकर भी पूजा की जाती है।

    करवा चौथ पूजा के दौरान यह गलती बिल्कुल न करें-

    बहुत सी महिलाएं अपने उत्साह में पूरी रस्म निभाने से पहले ही सीधे चांद को देख लेती हैं, लेकिन यह एक बड़ी गलती है। परंपरा के अनुसार आपको यह क्रम फॉलो करना चाहिए:-

    पहले चांद को अर्घ्य (जल) अर्पित करें। फिर चलनी से चांद को देखें। उसके बाद ही अपने पति को उसी चलनी से देखें और अंत में, अपने पति के हाथ से पानी की एक घूंट या खाने का एक टुकड़ा लेकर व्रत तोड़ें।

    इस क्रम को गड़बड़ाने से रस्म का आध्यात्मिक महत्व कम हो जाता है। इसलिए, सही क्रम बनाए रखें, ताकि आपका करवा चौथ व्रत पूर्ण और शुभ हो। यह गलती अक्सर जल्दबाजी में हो जाती है, लेकिन थोड़ा धैर्य रखकर आप इसे आसानी से अवॉइड

    ये भी पढ़ें- बिहार के मुंडेश्वरी मंदिर की अनोखी परंपरा, बिना खून बहाए होती है बकरे की बलि

    पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं?

    अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, तो कुछ सिंपल टिप्स आपके लिए बेहद काम की साबित हो सकती हैं। एक दिन पहले खूब पानी पिएं, नारियल पानी, फल और हल्का भोजन करें, ताकि आपका शरीर अगले दिन के लिए तैयार रहे। आरामदायक लेकिन पारंपरिक ड्रेस पहनें – लाल, मैरून या गुलाबी रंग को शुभ माना जाता है। शाम को पूजा में जरूर शामिल हों, क्योंकि वहीं पर समर्पण की कहानियां साझा की जाती हैं और माहौल वाकई खास होता है।

    ये भी पढ़ें- कब है Sharad Purnima 2025? जानिए सही तिथि, मुहुर्त और पूजा विधि

    व्रत के दिन बहुत ज्यादा एक्टिविटी से बचें और आराम करें। अगर कमजोरी महसूस हो तो घबराएं नहीं, यह नॉर्मल है। बस शांत रहें और पॉजिटिव थॉट्स रखें।