Delhi Vehicle Ban Policy: दिल्ली में हवा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर लगाया गया 10 साल पुराने वाहनों का प्रतिबंध अब लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश के बाद दिल्ली के सभी पेट्रोल पंपों ने जीवनकाल समाप्त यानी 10 साल से पुराने वाहनों में ईंधन भरना बंद कर दिया है। इस फैसले का सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों को हो रहा है जिन्होंने अपनी गाड़ियों की अच्छी देखभाल की है और जो अभी भी बेहतरीन हालत में हैं।
वायु प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से लिया गया यह कदम निश्चित रूप से पर्यावरण के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसकी वजह से कई गाड़ी मालिकों को अपने प्यारे वाहनों को मजबूरी में बेचना पड़ रहा है। खासकर उन लोगों के लिए यह नीति एक बड़ा झटका साबित हो रही है जिन्होंने अपनी गाड़ियों को परिवार के सदस्य की तरह संभाला है।
Well deserved @Ritesh_Gandotra https://t.co/PBJSHN9Hab pic.twitter.com/gR8hdjBjUK
— Pranav (@PranavaBhardwaj) July 2, 2025
Delhi Vehicle Ban Policy रितेश गंडोत्रा का दर्दनाक अनुभव-
दिल्ली निवासी रितेश गंडोत्रा की कहानी इस नीति की सच्चाई को बयान करती है। उनके पास एक आठ साल पुराना रेंज रोवर था जिसकी उन्होंने बेहद अच्छी देखभाल की थी। इस शानदार गाड़ी में अब तक सिर्फ 74,000 किलोमीटर की दूरी तय हुई थी। कोविड तालाबंदी के दौरान यह गाड़ी दो साल तक गैराज में खड़ी रही थी और गंडोत्रा के अनुसार इसमें अभी भी 2 लाख किलोमीटर से ज्यादा चलने की क्षमता बाकी थी।
गंडोत्रा ने सामाजिक मंच पर एक संदेश में अपनी परेशानी व्यक्त की थी, जिसे बाद में उन्होंने हटा दिया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 साल पुराने डीजल वाहनों के प्रतिबंध के कारण उन्हें अपनी गाड़ी को बहुत कम दाम पर बेचना पड़ा। वह इसे सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहर के खरीदारों को ही बेच सकते थे।
Why did he delete his tweet? pic.twitter.com/akrOvP7CvR
— Manjeet Singh (@techiemanjeet) July 2, 2025
गंडोत्रा ने नए वाहन खरीदने पर लगने वाले 45 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे जिम्मेदार मालिकों और सामान्य बुद्धि पर एक दंड करार दिया।
Delhi Vehicle Ban Policy लोगों की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर बहस-
गंडोत्रा का संदेश हटाने से पहले ही सामाजिक मंचों पर व्यापक चर्चा हो गई थी। कई लोगों ने उनके विचारों का समर्थन किया और सरकार से अधिक व्यावहारिक नीति अपनाने की मांग की। एक व्यक्ति ने लिखा था कि दिल्ली में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध के इस नियम में बदलाव की जरूरत है। वहां कोई भी खुश नजर नहीं आता। सरकार को पुराने वाहनों के लिए अच्छी कीमत देनी चाहिए या फिर नए वाहन खरीदने वाले पुराने मालिकों के लिए कम कर या बिल्कुल कर नहीं लगाना चाहिए।
Petrol, diesel ban on old vehicles in Delhi started from yesterday
— TheBanker’sMirror (@bankaffairs) July 2, 2025
Polluted Policies and Not Just Polluted Air , right ?
We pay EMIs for 7 years,
Maintain the car like family,
Use it barely 10 years…
And then?
👉 Govt says: “Scrap it.”
No check. No resale. No value.
Just… pic.twitter.com/zxqaA3TD6C
इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का एक बड़ा हिस्सा पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करने के सरकारी फैसले का विरोध कर रहा है। एक टिप्पणी में लिखा गया था, "हम 7 साल तक किश्त भरते हैं, गाड़ी को परिवार की तरह संभालते हैं, मुश्किल से 10 साल इस्तेमाल करते हैं और फिर क्या? सरकार कहती है इसे स्क्रैप करो। कोई जांच नहीं, कोई पुनर्विक्रय नहीं, कोई कीमत नहीं। बस कुचल दो - हमारी बचत और सपनों की तरह।"
वरुण विज और अन्य पीड़ितों की कहानी-
सिर्फ गंडोत्रा की यह समस्या नहीं है। वरुण विज को भी, जो मर्सिडीज-बेंज एमएल350 के मालिक हैं, इस नए नियम के कारण अपनी गाड़ी सिर्फ 2.5 लाख रुपये में बेचने को मजबूर होना पड़ा। यह गाड़ी का वास्तविक मूल्य से कहीं कम था। इसी तरह एक और व्यक्ति की कहानी सामने आई है जिसने अपनी पुरानी डीजल गाड़ी को बेचा, जिसे वह परिवार के सदस्य की तरह प्यार करता था। इन सभी घटनाओं ने चल रही बहस में और भी आग लगा दी है।
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नीति की समीक्षा की मांग-
विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण सुरक्षा जरूरी है, लेकिन इसके लिए ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो आम लोगों पर अनुचित बोझ न डालें। कई लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार को पुराने वाहनों के मालिकों के लिए कोई मुआवजा योजना लानी चाहिए या फिर नए वाहन खरीदने पर विशेष छूट देनी चाहिए।
अभी तक सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। लेकिन बढ़ते विरोध को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस नीति में कुछ संशोधन हो सकते हैं। लोगों की मांग है कि पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ नागरिकों के आर्थिक हितों का भी ख्याल रखा जाए।
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