Advocate Act Amendment Bill 2025: वकीलों के देशव्यापी विरोध के बीच केंद्र सरकार ने एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक 2025 के मसौदे की समीक्षा करने का फैसला किया है। विधि मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि विधेयक के मसौदे पर सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है और प्राप्त सुझावों के आधार पर इसमें संशोधन किया जाएगा। विधि मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग ने 13 फरवरी को एडवोकेट्स एक्ट 1961 में संशोधन के लिए मसौदा विधेयक जारी किया था। इस विधेयक में "कानूनी प्रैक्टिशनर" और "लॉ ग्रेजुएट" की परिभाषाओं में व्यापक बदलाव प्रस्तावित किए गए थे।
Advocate Act Amendment Bill 2025 प्रमुख संशोधन प्रस्ताव-
विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। कानूनी प्रैक्टिशनर की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें कॉरपोरेट लॉयर्स, इन-हाउस काउंसल और विदेशी लॉ फर्मों में काम करने वाले वकीलों को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा, वकीलों के लिए बार एसोसिएशन में पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।
विधेयक में हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी है। नए प्रावधान के तहत, अदालती कार्यवाही को बाधित करने वाली हड़तालों या बहिष्कार को पेशेवर दुराचार माना जाएगा। हालांकि, अदालती कामकाज में बाधा न डालने वाले प्रतीकात्मक या एक दिवसीय विरोध की अनुमति होगी।
Advocate Act Amendment Bill 2025 महिला प्रतिनिधित्व और शिक्षा में सुधार-
बार काउंसिल ऑफ इंडिया में कम से कम दो महिला सदस्यों की नियुक्ति अनिवार्य की गई है। कानूनी शिक्षा के आधुनिकीकरण और बार परीक्षा को अनिवार्य बनाने का भी प्रस्ताव है।
वकीलों का विरोध-
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) सहित कई बार संगठनों ने विधेयक का विरोध किया है। बीसीआई के चेयरपर्सन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि मसौदे में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं जो पहले की सहमति से अलग हैं। उन्होंने कहा, "बार की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।"
लखनऊ बार एसोसिएशन के अनुसार, सबसे आपत्तिजनक प्रावधान धारा 35A है, जो अदालती कार्यवाही के बहिष्कार पर रोक लगाती है। उत्तर प्रदेश के वकीलों ने 25 फरवरी को राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
कांग्रेस का विरोध-
विपक्षी दल कांग्रेस ने भी वकीलों के विरोध का समर्थन किया है। एआईसीसी के कानून विभाग के अध्यक्ष अभिषेक सिंघवी ने कहा कि विधेयक खराब तरीके से तैयार किया गया है और इसमें कानूनी बिरादरी की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज किया गया है।
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विधि मंत्रालय-
विधि मंत्रालय ने कहा है कि प्राप्त सुझावों के आधार पर मसौदे में संशोधन किया जाएगा और फिर से हितधारकों से परामर्श किया जाएगा। बीसीआई ने वकीलों से हड़ताल समाप्त करने और 24 फरवरी से अदालती कार्य फिर से शुरू करने का आग्रह किया है।
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि सरकार और वकील समुदाय के बीच बेहतर संवाद की आवश्यकता है। कानूनी क्षेत्र में सुधार महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इन सुधारों से वकीलों की स्वायत्तता प्रभावित न हो।
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