Rama Ekadashi 2025
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    Rama Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है और इन्हीं में से एक पवित्र व्रत है रामा एकादशी। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो उत्तर भारत में प्रचलित पंचांग के अनुसार निर्धारित होता है। तमिलनाडु में यह पुरत्तासी महीने में आता है, जबकि आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इसे आश्विन या अश्वयुज मास में मनाया जाता है। इस पवित्र एकादशी व्रत का आयोजन दिवाली से चार दिन पहले होता है। इस शुभ दिन के 15 दिन बाद देव उठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी आती है। रंभा एकादशी या कार्तिक कृष्ण एकादशी के नाम से भी जानी जाने वाली इस तिथि पर भक्त अपनी गलतियों के लिए मुक्ति पाने के लिए व्रत रखते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

    16 या 17 अक्टूबर कौन सी है Rama Ekadashi 2025 की सही तिथि?

    इस बार रामा एकादशी की सही तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है, कि यह 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 17 अक्टूबर को। हिंदू पंचांग के अनुसार रामा एकादशी 2025 की तिथि 17 अक्टूबर 2025 को पड़ती है। एकादशी तिथि 16 अक्टूबर 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होती है और 17 अक्टूबर 2025 को सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होती है। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए रामा एकादशी का व्रत 17 अक्टूबर 2025 को ही रखा जाएगा। यह स्पष्टता व्रत रखने वाले भक्तों के लिए बेहद जरूरी है, जिससे वह सही समय पर अपनी आराधना कर सकें।

    उदया तिथि का मतलब है, वह तिथि जो सूर्योदय के समय चल रही होती है। हिंदू धर्म में किसी भी व्रत या पूजा के लिए उदया तिथि को ही सबसे शुभ माना जाता है। इसलिए भले ही एकादशी तिथि 16 अक्टूबर को शुरू हो रही है, लेकिन चूंकि 17 अक्टूबर की सुबह भी यह तिथि जारी रहेगी, इसलिए व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाना सही है। यह जानकारी विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो पहली बार यह व्रत रख रहे हैं या जिन्हें पंचांग पढ़ने में कठिनाई होती है।

    Rama Ekadashi 2025 पारण का शुभ मुहूर्त और समय-

    रामा एकादशी के व्रत का पारण 18 अक्टूबर 2025, शनिवार को सुबह 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 58 मिनट के बीच करना चाहिए। पारण के दिन द्वादशी तिथि दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। पारण का सही समय पर होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह व्रत को पूर्ण करने की प्रक्रिया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर पारण सही समय पर न किया जाए तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। इसलिए व्रत रखने वाले भक्तों को इस समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

    पारण का अर्थ है व्रत खोलना या व्रत समाप्त करना। एकादशी व्रत में पारण द्वादशी तिथि में ही किया जाता है। पारण के समय सबसे पहले भगवान विष्णु को भोग लगाना चाहिए और फिर खुद भोजन ग्रहण करना चाहिए। पारण में सात्विक भोजन करना उत्तम माना जाता है। कई भक्त पारण में फलाहार करते हैं, तो कुछ लोग हल्का भोजन करना पसंद करते हैं। लेकिन याद रखें कि पारण निर्धारित समय सीमा में ही करना चाहिए।

    रामा एकादशी का अद्भुत महत्व-

    रामा एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र उपवास का दिन है, जो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रामा एकादशी का व्रत रखने के लाभ 100 राजसूय यज्ञ या 1,000 अश्वमेध यज्ञ करने से भी अधिक हैं। यह बात इस व्रत की महिमा को दर्शाती है। अगर भक्त रामा एकादशी पर भगवान विष्णु की समर्पण भाव से पूजा करें तो वे जीवन की किसी भी समस्या से पार पा सकते हैं और बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

    धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है, कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। चूंकि रामा देवी लक्ष्मी का ही एक नाम है, इसलिए इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। भक्त उनसे समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशियों का आशीर्वाद मांगते हैं। यह व्रत न केवल भौतिक सुख देता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त करता है।

    व्रत की विधि और नियम-

    रामा एकादशी का व्रत एक विशेष प्रक्रिया के साथ शुरू होता है। व्रत से एक दिन पहले, जिसे दशमी कहा जाता है, भक्तों को सूर्यास्त से पहले एक सरल भोजन करना चाहिए। अगले दिन यानी एकादशी को पूरे दिन उपवास रखना होता है और फिर द्वादशी तिथि में पारण के साथ व्रत समाप्त होता है। इस दौरान चावल या अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। यह नियम सभी एकादशी व्रतों में समान रूप से लागू होता है।

    भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में फल, फूल और धूप अर्पित करें। पूरे दिन भगवान के नाम का जाप करना चाहिए, संकीर्तन करना चाहिए और श्रीमद भागवतम या भगवद गीता जैसे पवित्र ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। इस दिन सात्विक विचार रखने और किसी भी प्रकार के नकारात्मक व्यवहार से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

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    धार्मिक ग्रंथों में वर्णित महिमा-

    ब्रह्म-वैवर्त पुराण जैसे पवित्र हिंदू ग्रंथों में कहा गया है, कि रामा एकादशी पर व्रत रखने से व्यक्ति सबसे बड़े पापों से भी मुक्त हो सकता है, यहां तक कि ब्राह्मण हत्या या ब्रह्म हत्या जैसे गंभीर पाप से भी। केवल इस व्रत की महिमा सुनने मात्र से ही मोक्ष मिल सकता है और भक्त की आत्मा को भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ में स्थान मिलने की गारंटी हो जाती है। यह इस व्रत की असीम शक्ति को दर्शाता है।

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