Sharad Purnima Upay: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि सोमवार को पड़ रही है और इसके साथ ही आ रहा है, शरद पूर्णिमा और कोजागिरी पूजा का पावन पर्व। यह रात केवल एक साधारण पूर्णिमा नहीं है, बल्कि यह वह खास रात है, जब माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस रात चांद अपनी सोलह कलाओं में पूर्ण होता है और अमृत की वर्षा करता है। यह रात अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक रूप से प्रभावशाली मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा के व्रत के दौरान माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस रात कुछ खास उपाय करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। तो आइए जानते हैं, कि शरद पूर्णिमा की रात क्या करना चाहिए और कैसे इस पावन अवसर का लाभ उठाया जा सकता है।
शरद पूर्णिमा 2025 का पंचांग और शुभ मुहूर्त-
द्रिक पंचांग के अनुसार, सोमवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक रहेगा। राहुकाल भी इसी समय यानी 11:45 बजे से 12:32 बजे तक रहेगा, इसलिए इस समय कोई शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। चतुर्दशी तिथि 5 अक्टूबर को दोपहर 3:03 बजे से शुरू होकर 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा तिथि का आरंभ होगा और इसी के अनुसार शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा।
शरद पूर्णिमा पर वृद्धि योग और ध्रुव योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देते हैं। ये योग धन-धान्य की वृद्धि और स्थिरता के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। ऐसे में इस दिन किए गए उपाय और पूजा-पाठ का फल कई गुना बढ़ जाता है।
सोलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा-
शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर की सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमाओं में से एक है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं में पूर्ण होता है, जो इसे विशेष बनाता है। हिंदू मान्यताओं में भगवान श्री कृष्ण को सोलह कलाओं से युक्त माना जाता है, जबकि भगवान श्री राम को बारह कलाओं से युक्त माना जाता है। जब चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है, तो उसकी दिव्यता और शक्ति अपने चरम पर होती है।
इस दिन नवविवाहित स्त्रियां पूरे साल की सभी पूर्णिमाओं पर व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। यह परंपरा विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रचलित है। गुजरात में इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है और वहां भी इसका विशेष महत्व है। यह व्रत वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा की रात ये काम जरूर करें-
नारद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और घर-घर में प्रवेश करती हैं। इस दिन सफेद वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। सफेद रंग शांति, पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक होता है, इसलिए इस दिन सफेद कपड़े पहनना विशेष फलदायी माना जाता है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना और ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करना धन-धान्य की वृद्धि करता है। यह मंत्र माता लक्ष्मी का बीज मंत्र है और इसके जाप से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मंत्र जाप के समय मन में पवित्र भाव रखें और माता से सच्चे मन से प्रार्थना करें।
केसर मिली खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखनी चाहिए और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए लाभकारी होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हैं। चांदनी में रखी खीर चंद्रमा की अमृत किरणों को अब्ज़ॉर्ब कर लेती है, जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होती है।
वैवाहिक जीवन में आ रही हैं समस्याएं तो करें ये उपाय-
यदि किसी के वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ रही हैं, तो पति-पत्नी को मिलकर चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देना चाहिए। इससे चंद्र दोष का प्रभाव कम होता है। चंद्र दोष मानसिक शांति और relationship में तनाव का कारण बन सकता है। इस उपाय को करते समय दोनों को साथ में खड़े होकर श्रद्धा और विश्वास के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
पीपल के पेड़ की पूजा करना और माता लक्ष्मी के मंदिर में नारियल, सूखे मेवे और लाल चुनरी चढ़ाना मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। पीपल का पेड़ भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है और इसकी पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। लाल चुनरी माता लक्ष्मी को बेहद प्रिय है और इसे चढ़ाने से माता प्रसन्न होती हैं।
कोजागर व्रत का विशेष महत्व-
कोजागर व्रत पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में विशेष महत्व रखता है। इसे कोजागरी पूजा, बंगाली लक्ष्मी पूजा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस रात जो भक्त जागरण करते हैं, उन पर माता लक्ष्मी विशेष कृपा बरसाती हैं और धन-धान्य से उनका घर भर देती हैं। कोजागर शब्द का अर्थ ही है कौन जाग रहा है यानी माता लक्ष्मी पूरी रात यह देखती हैं कि कौन भक्त उनकी आराधना में जाग रहा है।
स्कंद पुराण के अनुसार, यह व्रत समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख प्रदान करता है। भक्तजन रात्रि जागरण करके माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं। इस दिन के विशेष योग का भक्तों के लिए आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। चंद्रमा की पूजा और व्रत रखने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी आते हैं।
इस रात जागरण का महत्व-
शरद पूर्णिमा और कोजागिरी पूजा की रात जागरण करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। जो भक्त पूरी रात या आधी रात तक माता लक्ष्मी का भजन-कीर्तन करते हैं, उन पर माता की विशेष कृपा बरसती है। इस रात चंद्रमा की रोशनी में बैठकर ध्यान और मंत्र जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और आत्मिक उन्नति होती है।
बंगाल में इस रात को खास तरीके से मनाया जाता है। घरों को दीपों से सजाया जाता है और माता लक्ष्मी की भव्य पूजा की जाती है। महिलाएं समूह में बैठकर लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करती हैं और भजन गाती हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को एक साथ लाती है।
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शरद पूर्णिमा के अन्य उपाय-
इस दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है। तुलसी माता भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं और इनकी पूजा से घर में सुख-शांति बनी रहती है। शरद पूर्णिमा की रात तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाकर माता लक्ष्मी का आह्वान करना चाहिए।
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गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना इस दिन का महत्वपूर्ण अंग है। चावल, दूध, कपड़े या धन का दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। याद रखें, कि दान हमेशा सच्चे मन और बिना किसी स्वार्थ के करना चाहिए। शरद पूर्णिमा और कोजागिरी पूजा का यह पावन पर्व हमें सिखाता है, कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है। इस रात किए गए उपाय न केवल भौतिक समृद्धि बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करते हैं।