Ganesh Chaturthi 2025: इस साल गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 27 अगस्त 2025 को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। विनायक चतुर्थी के नाम से भी प्रसिद्ध इस त्योहार में पूरा देश भगवान गणेश की भक्ति में डूब जाएगा। गजानन, धूम्रकेतु, एकदंत, वक्रतुंड और सिद्धिविनायक जैसे अनेक नामों से पूजे जाने वाले भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और समृद्धि के देवता माना जाता है।
किसी भी नए काम की शुरुआत, पढ़ाई-लिखाई या व्यापार शुरू करने से पहले लोग उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। इस बार का गणेश चतुर्थी खासतौर पर शुभ माना जा रहा है, क्योंकि यह सप्ताह के बीच में आ रहा है, जिससे लोगों को पूजा-पाठ के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। चतुर्थी तिथि 26 अगस्त दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। इस दौरान भक्त अपने प्रिय गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करेंगे।
इतिहास में छुपी है एकता की शक्ति-
गणेश चतुर्थी का इतिहास 17वीं सदी के मराठा साम्राज्य से जुड़ा है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस त्योहार को बढ़ावा दिया था, ताकि लोगों में एकता और राष्ट्रप्रेम की भावना जगे। बाद में अंग्रेजी शासन के दौरान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने इसे सार्वजनिक त्योहार बनाया। उन्होंने समझा था, कि धर्म और त्योहारों के माध्यम से लोगों को एक साथ लाया जा सकता है। तिलक जी का यह कदम सिर्फ धार्मिक नहीं था, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक भी था। उन्होंने देखा, कि अंग्रेज सरकार हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है, तो उन्होंने गणेश उत्सव को एक ऐसा मंच बनाया, जहां सभी जाति-धर्म के लोग एक साथ आकर अपनी संस्कृति का जश्न मना सकें।
भगवान गणेश के जन्म की दिव्य कहानी-
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर की हल्दी से भगवान गणेश का निर्माण किया था और उन्हें जीवन दिया था। उन्होंने गणेश जी को अपने कमरे की रखवाली करने को कहा था, जब वे स्नान कर रही थीं। जब भगवान शिव वापस आए और गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका, तो दोनों के बीच संघर्ष हुआ। इस दौरान शिव जी ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर काट दिया।
जब माता पार्वती को यह पता चला, तो वे बहुत क्रोधित हुईं। उनके गुस्से को देखकर भगवान शिव ने तुरंत एक हाथी का सिर लाकर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया और उन्हें दोबारा जीवित कर दिया। साथ ही उन्हें यह वरदान भी दिया, कि सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश जी की पूजा होगी और वे सभी विघ्नों को हरने वाले विघ्नहर्ता कहलाएंगे।
2025 में गणेश पूजा कैसे करें-
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति को एक ऊंचे स्थान पर स्थापित करना चाहिए। मूर्ति को फूलों से सजाना चाहिए और मोदक, दूर्वा घास और मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए। पूजा के दौरान “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा की शुरुआत गणेश जी के चरणों में फूल चढ़ाकर करनी चाहिए। फिर उन्हें चंदन, अक्षत, फूल और दूर्वा अर्पित करना चाहिए। भोग में मोदक, लड्डू और खीर शामिल कर सकते हैं। आरती के समय पूरे मन से भगवान से बुद्धि, समृद्धि और विघ्नों के नाश की प्रार्थना करनी चाहिए।
शक्तिशाली गणेश मंत्र-
गणेश चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जाप करने से विशेष फल मिलता है। पहला मंत्र है “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।” इस मंत्र का अर्थ है, कि हे वक्रतुंड महाकाय, जो सूर्य के समान तेजस्वी हैं, मेरे सभी कार्यों में विघ्न हटाइए। दूसरा प्रभावशाली मंत्र है, “एकदंतं महाकायं लम्बोदरं गजाननं, विघ्नेश्वरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्।” इन मंत्रों का नियमित जाप करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और सभी बाधाएं दूर होती हैं।
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गणेश विसर्जन 2025 अनंत चतुर्दशी का महत्व-
इस साल गणेश उत्सव 6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी के दिन संपन्न होगा। इस दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा। विसर्जन सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि भगवान हमारे दिलों में बसे रहते हैं, मूर्ति में नहीं। विसर्जन के समय “गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया” के नारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। यह नारा महाराष्ट्र से शुरू होकर अब पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया है। लोग बड़े उत्साह के साथ जुलूस निकालते हैं और अपने प्यारे बप्पा को विदाई देते हैं।
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