Premanand Ji
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    Premananda Ji: समाज में हनुमान जी को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। खासकर महिलाओं के संदर्भ में अक्सर यह कहा जाता है, कि उन्हें हनुमान जी को छूना नहीं चाहिए या उनकी पूजा करने में कुछ सीमाएं हैं। इस पर एक महिला ने प्रेमानंद गोविंद शरण जी से सवाल पूछा था। सभी को न केवल समाधान मिलेगा, उनके जवाब सुनने के बाद, बल्कि यह भी समझ आएगा, कि सच्ची भक्ति का आधार नियम नहीं बल्कि भावना है।

    उस महिला ने महाराज जी से पूछा था, कि क्या वह हनुमान जी की पूजा कर सकती है? बचपन से ही उसने हनुमान जी को अपना भाई माना है, लेकिन हाल ही में किसी ने कहा, कि महिलाओं को हनुमान जी को छूना नहीं चाहिए, क्योंकि वे ब्रह्मचारी हैं। इस पर प्रेमानंद महाराज ने बहुत सरल और सच्ची भावना के साथ जवाब दिया।

    अंजनी माता का प्रेम और मातृत्व-

    प्रेमानंद जी ने स्पष्ट किया, कि ये सभी बातें नियमों और सिद्धियों की दुनिया से जुड़ी हैं। जब कोई व्यक्ति शक्ति के रूप में पूजा करता है, तो कुछ सीमाएं होती हैं। लेकिन अगर कोई हनुमान जी से प्रिय के रूप में प्रेम करता है, तो कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात कहते हुए पूछा, “क्या अंजनी माता ने कभी यह सोचा था, कि उनका पुत्र ब्रह्मचारी है इसलिए वे उसे छू नहीं सकतीं?” यह सवाल बहुत गहरा है और इससे साफ हो जाता है, कि मातृ प्रेम, भ्रातृ प्रेम या भक्ति प्रेम में कोई बंधन नहीं होता। अंजनी माता का अपने पुत्र हनुमान के साथ जो रिश्ता था।

    आत्मा का सच और शरीर की माया-

    प्रेमानंद जी ने बताया, कि अगर कोई भक्ति के साथ हनुमान जी को भाई, पुत्र या भगवान के रूप में प्रेम करता है तो उसमें स्त्री-पुरुष की पहचान मैटर नहीं करती। उन्होंने कहा, “आपको बस यह शरीर मिला है, जो एक ड्रैस की तरह है। जैसे आर्मी के हर डिपार्टमेंट की अलग यूनिफॉर्म होती है, वैसे ही यह शरीर है। लेकिन अंदर से हम सब एक ही हैं, भगवान के अंश।”

    प्रेम में नियम नहीं, केवल भावना-

    संत जी ने आगे कहा, कि जब हम भगवान को अपने साथ जोड़ते हैं, तो कोई सीमा नहीं रह जाती। अगर कोई महिला प्रेम से हनुमान जी की पूजा करती है, उन्हें खाना खिलाती है, उनसे बात करती है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यह सब फिलिग की बात है, रुल्स की नहीं।

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    प्रेमानंद महाराज ने एक इंस्पायरिंग इनसिडेंट भी सुनाया। एक भक्त महिला रोज खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित करती थी। एक संत ने ऑब्जेक्शन किया, कि बिना नहाए वह भगवान को भोजन कैसे चढ़ा सकती है? लेकिन जब उस महिला ने नियमों के अनुसार, देर से खाना चढ़ाया, तो भगवान ने वह भोजन नहीं लिया, क्योंकि वह प्रेम से नहीं, बल्कि प्रेशर में किया गया था।

    राम और हनुमान का अटूट रिश्ता-

    महाराज जी ने एक और पॉइंट बताया। उन्होंने कहा, कि जहां राम हैं वहां हनुमान भी हैं। अगर कोई कहता है, कि महिलाओं को हनुमान जी की सेवा नहीं करनी चाहिए, तो क्या उन्हें राम जी की सेवा भी बंद कर देनी चाहिए? क्योंकि हनुमान जी हमेशा राम दरबार में उनके साथ रहते हैं। यह कहना गलत है, कि किसी को सेवा से रोका जाए, खासकर जब भावना सच्ची हो।

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