Al-Qaeda Terrorist: गुजरात की आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने एक बड़ी कार्रवाई में चार खतरनाक आतंकियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी आतंकी अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़े हुए थे और न केवल नकली नोटों का धंधा चला रहे थे, बल्कि इंटरनेट के जरिए आतंकी विचारधारा भी फैला रहे थे। यह गिरफ्तारी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। गिरफ्तार किए गए आतंकियों की पहचान मोहम्मद फैक, मोहम्मद फरदीन, सैफउल्लाह कुरैशी और जीशान अली के रूप में की गई है। इनमें से एक आतंकी को दूसरे राज्य से गिरफ्तार किया गया है, जो इस बात को दर्शाता है, कि इनका जाल काफी विस्तृत था।
VIDEO | The Gujarat Anti-Terrorist Squad (ATS) has arrested four individuals for their alleged links to Al-Qaeda in the Indian Subcontinent (AQIS), a banned terror outfit.
— Press Trust of India (@PTI_News) July 23, 2025
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/HL0vSbcVeW
तकनीक का गलत इस्तेमाल कर छुपाते थे अपने निशान-
सूत्रों के अनुसार, ये आतंकी बेहद चालाकी से काम कर रहे थे। वे अल-कायदा की सोच फैलाने के लिए विभिन्न इंटरनेट माध्यमों और संदिग्ध एप्लिकेशन का इस्तेमाल करते थे। सबसे चिंताजनक बात यह है, कि ये अपराधी अपने आप मिट जाने वाली एप्लिकेशन का उपयोग करके अपनी बातचीत के सभी सबूतों को हटा देते थे, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता था।
BIG | Gujarat ATS arrests four Islamist terrorists linked to Al-Qaeda in the Indian Subcontinent (AQIS).
— Ashwini Shrivastava (@AshwiniSahaya) July 23, 2025
The arrested terrorist are, Mohd Faiq (Delhi), Mohd Fardeen (Ahmedabad, Gujarat), Sefullah Qureshi (Modasa, Gujarat), Zeeshan Ali (Noida, Uttar Pradesh)
They were actively… pic.twitter.com/SIgMM0ecQj
यह दिखाता है, कि आज के डिजिटल दौर में आतंकी कैसे तकनीक का गलत फायदा उठाकर अपनी गतिविधियों को छुपाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, गुजरात एटीएस की विशेषज्ञ टीम ने अपनी तकनीकी दक्षता और गुप्त सूचना इकट्ठा करने के जरिए इन आतंकियों के जाल को समझा और उन्हें गिरफ्तार करने में सफलता पाई।
कैसे किया आतंकियों को ट्रैक-
गुजरात एटीएस के अधिकारियों का कहना है, कि ये चारों आरोपी काफी लंबे समय से इस आतंकी संगठन से जुड़े हुए थे। उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से अल-कायदा के साथ संपर्क बनाया था। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह दिखाता है, कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन भारतीय युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये आतंकी तब एटीएस की नजर में आए, जब उन्हें राज्य में आतंकी गतिविधियों पर चर्चा करते हुए पकड़ा गया। खुफिया एजेंसियों की निरंतर निगरानी और उन्नत जासूसी तकनीकों की बदौलत इन आतंकियों की गतिविधियों को ट्रैक किया जा सका।
गहरी जांच जारी, संदेशों का हो रहा विश्लेषण-
फिलहाल चारों आरोपियों से पूछताछ जारी है। गुजरात एटीएस के अधिकारी इनकी बातचीत और इंटरनेट खातों का विस्तृत विश्लेषण कर रहे हैं। इस जांच से और भी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने की उम्मीद है, जो इस आतंकी जाल के अन्य सदस्यों की पहचान में मदद कर सकती हैं। यह जांच इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पता चल सकता है, कि ये आतंकी किन अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल थे और उनका नेटवर्क कितना बड़ा है। नकली नोट के धंधे के अलावा, इन्होंने और कौन से अपराध में हिस्सा लिया है, यह भी जांच का विषय है।
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अल-कायदा एक वैश्विक खतरे की पूरी कहानी-
अल-कायदा का इतिहास बेहद काला और खतरनाक है। यह आतंकी संगठन मूल रूप से मख्तब अल-खिदमत से निकला था, जिसे ओसामा बिन लादेन के गुरु शेख अब्दुल्लाह अज्जाम ने अफगानिस्तान में आतंकियों को पैसा देने के लिए बनाया था। इस संगठन ने अपनी स्थापना के बाद से ही वैश्विक आतंकवाद को एक नई दिशा दी।
1991 तक अल-कायदा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पेशावर में काम करता था। 1996 से 2001 के अंत तक, बिन लादेन और उसके आतंकी साथियों ने तालिबान के संरक्षण में अफगानिस्तान से इसे चलाया। इस संगठन और इसकी सहयोगी शाखाओं ने अफ्रीका, एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में कई बड़े हमलों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया है, जिससे हजारों निर्दोष लोगों की जानें गई हैं। आज भी यह संगठन और इससे प्रेरित समूह दुनिया भर में सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं। इसीलिए गुजरात एटीएस की यह कार्रवाई न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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