PoK Indefinite Strike: पाक अधिकृत कश्मीर में एक बार फिर जनता सड़कों पर उतर आई है। अवामी कार्रवाई समिति के नेतृत्व में हजारों लोग आटे और बिजली पर छूट की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन न केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित है, बल्कि कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करने की मांग भी शामिल है।
इंटरनेट बंदी और सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था-
पाकिस्तान प्रशासन ने इन विरोध प्रदर्शनों को काबू में करने के लिए फोन लाइनों को काट दिया है और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है, साथ ही भारी सुरक्षा व्यवस्था भी तैनात की है। सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में दिखाया गया है, कि बंदी के बावजूद भी लोगों के बड़े समूह एकत्र होकर नारेबाजी कर रहे हैं और झंडे लहरा रहे हैं।
मुज़फ्फराबाद और आसपास के इलाकों में बाजार पूरी तरह से बंद हैं। न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्षेत्र में मोबाइल फोन, लैंडलाइन, इंटरनेट सेवाएं और सामाजिक माध्यम आंशिक रूप से बंद कर दिए गए हैं।
🚨 #POJK में पाक सरकार विरोधी प्रदर्शन हिंसक और बेकाबू.
⚡सुरक्षा बलों ने चलाई गोलियां तो स्थानीय लोगों ने भी कई इलाकों में सुरक्षा बलों को बंधक बनाया.
⚡महंगाई, करप्शन, शोषण और प्रताड़ना के खिलाफ बगावत 🔥 pic.twitter.com/6S6Xrz4oLQ— Madhurendra kumar मधुरेन्द्र कुमार (@Madhurendra13) September 29, 2025
समिति की मांगें और सरकार के साथ असफल वार्तालाप-
अवामी कार्रवाई समिति, जो कि विभिन्न नागरिक संगठनों का एक छत्र संगठन है, ने सरकार के साथ हुई बातचीत को “अधूरी और निष्कर्षहीन” बताया है और अनिश्चितकालीन बंदी जारी रखने की घोषणा की है। समिति का कहना है, कि विरोध प्रदर्शन इसलिए आयोजित किए गए हैं, क्योंकि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में असफल रही है।
समिति के मुख्य सदस्य शौकत नवाज़ मीर ने समाचारपत्र को बताया, “यह एक बार फिर स्पष्ट हो जाना चाहिए। हम किसी विचारधारा या संस्था के खिलाफ अभियान नहीं चला रहे हैं, बल्कि अपने लोगों के वास्तविक अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, जो सात दशकों से किसी न किसी बहाने से इनकार किए जा रहे हैं।”
70 सालों की निराशा का परिणाम-
यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ मौजूदा समस्याओं का नतीजा नहीं हैं, बल्कि दशकों की जमी हुई निराशा का परिणाम हैं। समिति की मुख्य मांगों में शामिल हैं:-
आर्थिक मुद्दे: रियायती आटे की मांग, बिजली की उचित दरें, जो मंगला बिजली परियोजना से जुड़ी हों और इस्लामाबाद द्वारा वादा किए गए लंबे समय से लंबित सुधारों का कार्यान्वयन।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व: सबसे विवादास्पद मुद्दा है कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधायी सीटों को समाप्त करना। ये सीटें 2018 के 13वें संशोधन अधिनियम के तहत लाई गई थीं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह “प्रतिनिधि शासन को कमजोर करता है।”
मौलिक अधिकार: समिति का तर्क है कि यह उनके मौलिक अधिकारों की इनकारी के विरुद्ध विरोध है।
सरकार की प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय-
शनिवार को पाक अधिकृत कश्मीर में सुरक्षा बलों ने झंडा मार्च किए और भारी तैनाती की गई। अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है, कि शांति बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है और किसी को भी सार्वजनिक जीवन को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
जिला मजिस्ट्रेट मुदस्सर फारूक ने कहा, “शांति बनाए रखना प्रशासन, पुलिस और नागरिकों की साझा जिम्मेदारी है। हमारा किसी से कोई झगड़ा नहीं है, लेकिन हमारा सार्वजनिक सेवा का मिशन हर कीमत पर जारी रहेगा।”
दुकानदारों ने घोषणा की थी, कि वे रविवार को अपनी दुकानें खुली रखेंगे ताकि ग्राहक सोमवार की बंदी से पहले आवश्यक खरीदारी कर सकें।
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क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव-
हाल की रिपोर्टों के अनुसार, अवामी कार्रवाई समिति ने अपनी मांगों का दायरा बढ़ाया है और अगर उनकी शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो 29 सितंबर 2025 से संपूर्ण क्षेत्रीय बंद की घोषणा की है। यह आंदोलन अब केवल तत्काल आर्थिक शिकायतों से आगे बढ़कर व्यापक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को संबोधित कर रहा है।
यह भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में बढ़ते गुस्से का संकेत है, जो पाकिस्तान सरकार के लिए चुनौती बन रहा है। पहले पाक अधिकृत कश्मीर सरकार के सदस्यों और शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली पाकिस्तान सरकार ने समिति के साथ बातचीत की थी, लेकिन हड़ताल की घोषणा से पहले ये वार्तालाप सफल नहीं हुईं।
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