रुद्राक्ष धारण करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात है असली रुद्राक्ष की पहचान। बाजार में कई प्रकार के नकली रुद्राक्ष भी मिलते हैं, इसलिए इसे किसी विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदना चाहिए।

रुद्राक्ष को पहनने से पहले उसे शुद्ध करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए गंगाजल या गाय के दूध का प्रयोग किया जा सकता है। शुद्धिकरण के बाद इसे किसी मंत्र से अभिमंत्रित करना चाहिए।

रुद्राक्ष धारण करने का सबसे शुभ समय सोमवार का दिन माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। इसके अलावा पूर्णिमा और महाशिवरात्रि जैसे पवित्र अवसर भी रुद्राक्ष धारण करने के लिए शुभ माने जाते हैं।

रुद्राक्ष को धारण करते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र रुद्राक्ष की शक्ति को और बढ़ा देता है।

रुद्राक्ष को आम तौर पर रेशम के धागे या सोने, चांदी या तांबे की चेन में पहना जाता है। कृत्रिम धागों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये रुद्राक्ष की शक्ति को कम कर सकते हैं।

रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक जीवन जीने की सलाह दी जाती है। इसका अर्थ है शुद्ध शाकाहारी भोजन, सकारात्मक विचार और नैतिक आचरण।

रुद्राक्ष की पवित्रता बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। मदिरापान और मांसाहार से दूर रहना चाहिए।

अपना रुद्राक्ष दूसरों को नहीं पहनने देना चाहिए क्योंकि यह पहनने वाले की ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है। स्नान करते समय, सोते समय या अन्य व्यक्तिगत क्षणों में रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए।

रुद्राक्ष की नियमित देखभाल भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसे समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए। इसके लिए एक नरम, साफ कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।